2- तुजुक-ए-जहांगिरी /Tuzuk-E-Jahangiri
(जहांगीर की आत्मकथा /BIOGRAPHY of Jahangir)
में भी जोधा का कहीं कोई उल्लेख नही है
(There is no any name of JODHA Bai Found in
Tujuk -E- Jahangiri ) जब की एतिहासिक दावे और
झूठे सीरियल यह कहते हैं की जोधा बाई अकबर
की पत्नि व जहांगीर की माँ थी जब की हकीकत
यह है की जोधा बाई का पूरे इतिहास में कहीं
कोइ नाम नहीं है, जोधा का असली नाम {मरियम-
उल-जमानी} ( Mariamuz-Zamani ) था जो कि
आमेर के राजा भारमल के विवाह के दहेज में
आई परसीयन दासी की पुत्री थी उसका लालन
पालन राजपुताना में हुआथा इसलिए वह
राजपूती रीती रिवाजों को भली भाँती
जान्ती थी और राजपूतों में उसे हीरा
कुँवरनी (हरका) कहते थे, यह राजा भारमल की
कूटनीतिक चाल थी, राजा भारमल जान्तेथे की
अकबर की सेनाजंसंख्या में उनकीसेना से
बड़ी है तोराजा भारमल ने हवसी अकबर बेवकूफ
बनाकर उस्से संधी करना ठीक समझा , इससे
पूर्व में अकबर ने एक बार राजा भारमल की
पुत्री से विवाह करने का प्रस्ताव रखा था
जिस पर भारमल ने कड़े शब्दों में क्रोधित
होकर प्रस्ताव ठुकरा दिया था , परंतु बाद में
राजा के दिमाग में युक्ती सूझी , उन्होने
अकबर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और
परसियन दासी को हरका बाइ बनाकर उसका
विवाह रचा दिया , क्योकी राजा भारमल ने
उसका कन्यादान किया था इसलिये वह राजा
भारमल की धर्म पुत्री थी लेकिन वह
कचछ्वाहाराजकुमारी नही थी ।। उन्होंने यह
प्रस्ताव को एक AGREEMENT की तरहया
राजपूती भाषा में कहें तो हल्दी-चन्दन
किया था
Like · 1 · Report · 3 hours ago
Hardik Singh Negi
अरब में बहुत सी किताबों में लिखा है written
in parsi ( “ ﻭﻧﺤﻦ ﻓﻲ ﺷﻚ ﺣﻮﻝ ﺃﻛﺒﺮ ﺃﻭ ﺟﻌﻞ ﺍﻟﺰﻭﺍﺝ
ﺭﺍﺟﺒﻮﺕ ﺍﻷﻣﻴﺮﺓ ﻓﻲ ﻫﻨﺪﻭﺳﺘﺎﻥ ﺁﺭﻳﺎﺱ ﻛﺬﺑﺔ ﻟﻤﺠﻠﺲ ”)
हम यकीन नहीं करते इस निकाह पर हमें संदेह है
।। 4- ईरान के मल्लिक नेशनल संग्रहालय एन्ड
लाइब्रेरी में रखी किताबों में इन्डियन
मुघलों का विवाह एक परसियन दासी से करवाए
जाने की बात लिखी है ।। 5- अकबर-ए-महुरियत
में यह साफ-साफ लिखा है कि (written in
persian “ ﮨﻢ ﺭﺍﺟﭙﻮﺕﺷﮩﺰﺍﺩﯼ ﯾﺎ ﺍﮐﺒﺮ ﮐﮯ ﺑﺎﺭﮮ ﻣﯿﮟ ﺷﮏ
ﻣﯿﮟ ﮨﯿﮟ ” (we dont have trust in this Rajput
marriagebecause at the time of mariage there was
not even a single tear in any ones eye even then
the Hindus God Bharai Rasam was also not
Happened ) हमें इस हिन्दू निकाह पर संदेह है
क्यौकी निकाह के वक्त राजभवन में किसी की
आखों में आँसू नही थे और ना ही हिन्दू गोद
भरई की रस्म हुई थी ।। 6- सिक्ख धर्म के गुरू
अर्जुन और गुरू गोविन्द सिंहने इस विवाह के
समययह बात स्वीकारी थी कि (written in Punjabi
font - “ਰਾਜਪੁਤਾਨਾ ਆਬ ਤਲਵਾਰੋ ਓਰ ਦਿਮਾਗ ਦੋਨੋ ਸੇ ਕਾਮ ਲੇਨੇ ਲਾਗਹ ਗਯਾ ਹੈ “ ) कि
क्षत्रीय , ने अब तलवारों और बुद्धीदोनो का
इस्तेमाल करना सीख लिया है , मत्लब
राजपुताना अब तलवारों के साथ-साथ बुद्धी
का भी काम लेने लगा है ।।( At the time of this
fake mariage the Guru of Sikh Religion Arjun Dev
and Guru Govind Singh also admited that now
Kshatriya Rajputs have learned to use the swords
with brain also !! ) ै7- 17वी सदी में जब परसि
भारत भ्रमन के लिये आये तब उन्होंने अपनी
रचना (Book) परसी तित्ता/PersiTitta में यह
लिखा है की यह भारतीय राजा एक परसियन
वैश्या को सही हरम में भेज रहा है , अत: हमारे
देव (अहुरा मझदा) इस राजा को स्वर्ग दें ( In
17 th centuary when the Persian came to India So
they wrote in there book (Persi Titta) that This
Indian King is sending a Persian prostitude to her
right And deservable place and May our God
(Ahura Mazda) give Heaven to this Indian King . 8-
हमारे इतिहास में राव और भट्ट होते हैं , जो
हमारा ईतिहास लिखते हैं!! उन्होंने साफ साफ
लिखा है की गढ़आमेर आयी तुरकान फौज , ले
ग्याली पसवान कुमारी ,राण राज्या राजपूता
लेली इतिहासा पहलीबार ले बिन लड़िया जीत
(1563 AD )। मत्लब आमेर किले में मुघल फौज
आती है और एक दासी की पुत्री को ब्याह कर
ले जाती है, हे रण के लिये पैदा हुए राजपूतों
तुमने इतिहास में ले ली बिना लड़े पहली जीत
1563 AD (In our Rajputana History our History
writers were Raos and Bhatts They clearly wrote
Garh Amer ayi Turkaan Fauj Le gyali Paswaan
Kumari , Ran Rajya Rajputa leli itihasa Pehlibar le
bin ladiya jeet !! This means that when Mughal
army came at Amer fort their Emperor got married
with persian female servant of Rajputs The Rajputs
who born for war And in history this was the first
time that the Rajput has got a victory without any
violence 9-यह वो अकबर महान था जिसके समय मे
लाखों राजपुतानी अपनी इज्जत बचाने के
लिये जोहर की आगमें कूद गई ( अगनी कुन्ड
में ) कूद गई ताकी मुघल सेना उन्हे छू भी ना
सके, क्या उनका बलिदानव्यर्थ हे जो हम
उसजलाल उद्दीन मोहोम्मद अकबर को अकबर महान
कहते ह
(जहांगीर की आत्मकथा /BIOGRAPHY of Jahangir)
में भी जोधा का कहीं कोई उल्लेख नही है
(There is no any name of JODHA Bai Found in
Tujuk -E- Jahangiri ) जब की एतिहासिक दावे और
झूठे सीरियल यह कहते हैं की जोधा बाई अकबर
की पत्नि व जहांगीर की माँ थी जब की हकीकत
यह है की जोधा बाई का पूरे इतिहास में कहीं
कोइ नाम नहीं है, जोधा का असली नाम {मरियम-
उल-जमानी} ( Mariamuz-Zamani ) था जो कि
आमेर के राजा भारमल के विवाह के दहेज में
आई परसीयन दासी की पुत्री थी उसका लालन
पालन राजपुताना में हुआथा इसलिए वह
राजपूती रीती रिवाजों को भली भाँती
जान्ती थी और राजपूतों में उसे हीरा
कुँवरनी (हरका) कहते थे, यह राजा भारमल की
कूटनीतिक चाल थी, राजा भारमल जान्तेथे की
अकबर की सेनाजंसंख्या में उनकीसेना से
बड़ी है तोराजा भारमल ने हवसी अकबर बेवकूफ
बनाकर उस्से संधी करना ठीक समझा , इससे
पूर्व में अकबर ने एक बार राजा भारमल की
पुत्री से विवाह करने का प्रस्ताव रखा था
जिस पर भारमल ने कड़े शब्दों में क्रोधित
होकर प्रस्ताव ठुकरा दिया था , परंतु बाद में
राजा के दिमाग में युक्ती सूझी , उन्होने
अकबर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और
परसियन दासी को हरका बाइ बनाकर उसका
विवाह रचा दिया , क्योकी राजा भारमल ने
उसका कन्यादान किया था इसलिये वह राजा
भारमल की धर्म पुत्री थी लेकिन वह
कचछ्वाहाराजकुमारी नही थी ।। उन्होंने यह
प्रस्ताव को एक AGREEMENT की तरहया
राजपूती भाषा में कहें तो हल्दी-चन्दन
किया था
Like · 1 · Report · 3 hours ago
Hardik Singh Negi
अरब में बहुत सी किताबों में लिखा है written
in parsi ( “ ﻭﻧﺤﻦ ﻓﻲ ﺷﻚ ﺣﻮﻝ ﺃﻛﺒﺮ ﺃﻭ ﺟﻌﻞ ﺍﻟﺰﻭﺍﺝ
ﺭﺍﺟﺒﻮﺕ ﺍﻷﻣﻴﺮﺓ ﻓﻲ ﻫﻨﺪﻭﺳﺘﺎﻥ ﺁﺭﻳﺎﺱ ﻛﺬﺑﺔ ﻟﻤﺠﻠﺲ ”)
हम यकीन नहीं करते इस निकाह पर हमें संदेह है
।। 4- ईरान के मल्लिक नेशनल संग्रहालय एन्ड
लाइब्रेरी में रखी किताबों में इन्डियन
मुघलों का विवाह एक परसियन दासी से करवाए
जाने की बात लिखी है ।। 5- अकबर-ए-महुरियत
में यह साफ-साफ लिखा है कि (written in
persian “ ﮨﻢ ﺭﺍﺟﭙﻮﺕﺷﮩﺰﺍﺩﯼ ﯾﺎ ﺍﮐﺒﺮ ﮐﮯ ﺑﺎﺭﮮ ﻣﯿﮟ ﺷﮏ
ﻣﯿﮟ ﮨﯿﮟ ” (we dont have trust in this Rajput
marriagebecause at the time of mariage there was
not even a single tear in any ones eye even then
the Hindus God Bharai Rasam was also not
Happened ) हमें इस हिन्दू निकाह पर संदेह है
क्यौकी निकाह के वक्त राजभवन में किसी की
आखों में आँसू नही थे और ना ही हिन्दू गोद
भरई की रस्म हुई थी ।। 6- सिक्ख धर्म के गुरू
अर्जुन और गुरू गोविन्द सिंहने इस विवाह के
समययह बात स्वीकारी थी कि (written in Punjabi
font - “ਰਾਜਪੁਤਾਨਾ ਆਬ ਤਲਵਾਰੋ ਓਰ ਦਿਮਾਗ ਦੋਨੋ ਸੇ ਕਾਮ ਲੇਨੇ ਲਾਗਹ ਗਯਾ ਹੈ “ ) कि
क्षत्रीय , ने अब तलवारों और बुद्धीदोनो का
इस्तेमाल करना सीख लिया है , मत्लब
राजपुताना अब तलवारों के साथ-साथ बुद्धी
का भी काम लेने लगा है ।।( At the time of this
fake mariage the Guru of Sikh Religion Arjun Dev
and Guru Govind Singh also admited that now
Kshatriya Rajputs have learned to use the swords
with brain also !! ) ै7- 17वी सदी में जब परसि
भारत भ्रमन के लिये आये तब उन्होंने अपनी
रचना (Book) परसी तित्ता/PersiTitta में यह
लिखा है की यह भारतीय राजा एक परसियन
वैश्या को सही हरम में भेज रहा है , अत: हमारे
देव (अहुरा मझदा) इस राजा को स्वर्ग दें ( In
17 th centuary when the Persian came to India So
they wrote in there book (Persi Titta) that This
Indian King is sending a Persian prostitude to her
right And deservable place and May our God
(Ahura Mazda) give Heaven to this Indian King . 8-
हमारे इतिहास में राव और भट्ट होते हैं , जो
हमारा ईतिहास लिखते हैं!! उन्होंने साफ साफ
लिखा है की गढ़आमेर आयी तुरकान फौज , ले
ग्याली पसवान कुमारी ,राण राज्या राजपूता
लेली इतिहासा पहलीबार ले बिन लड़िया जीत
(1563 AD )। मत्लब आमेर किले में मुघल फौज
आती है और एक दासी की पुत्री को ब्याह कर
ले जाती है, हे रण के लिये पैदा हुए राजपूतों
तुमने इतिहास में ले ली बिना लड़े पहली जीत
1563 AD (In our Rajputana History our History
writers were Raos and Bhatts They clearly wrote
Garh Amer ayi Turkaan Fauj Le gyali Paswaan
Kumari , Ran Rajya Rajputa leli itihasa Pehlibar le
bin ladiya jeet !! This means that when Mughal
army came at Amer fort their Emperor got married
with persian female servant of Rajputs The Rajputs
who born for war And in history this was the first
time that the Rajput has got a victory without any
violence 9-यह वो अकबर महान था जिसके समय मे
लाखों राजपुतानी अपनी इज्जत बचाने के
लिये जोहर की आगमें कूद गई ( अगनी कुन्ड
में ) कूद गई ताकी मुघल सेना उन्हे छू भी ना
सके, क्या उनका बलिदानव्यर्थ हे जो हम
उसजलाल उद्दीन मोहोम्मद अकबर को अकबर महान
कहते ह
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