गुरुवार, 21 मई 2015

यदि भक्ति में भक्त कोई सेवा भूल भी जाता है तो भगवान अपनी तरफ से पूरा कर लेते हैं।

🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸
"जय" बोलने से मन को शांति मिलती हैं...
"श्री" बोलने से शक्ति मिलती हैं...
"राधे" बोलने से पापो से मुक्ति मिलती हैं...
और निरंतर ""जय श्री राधे"" बोलने से
भक्ति मिलती हैं...
और भक्ति से क्या मिलता हैं जानते
हो आप.???
भक्ति से मेरे कन्हैंया मिलते हैं.......
तो प्यार से बोलो """जय श्री  राधे""""🙌🙌
जय जय श्री राधे श्याम 🙌🙌
🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸
ऐ कन्हैया
!!..सिर्फ दो ही वक़्त पर आपका साथ चाहिए,
एक तो अभी और एक हमेशा के लिए..!!
!!..!!..........प्रेम से कहिये श्री राधे.........!!..!!
👌जब आप मंदिर नहीं जा पाए तो
यह मत कहो कि वक्त नहीं मिला..!

बल्कि यह सोचो कि...
ऐसा कौन सा काम किया, जिसकी वजह से..
भगवान ने तुम्हें आज
अपने सामने खड़ा करना भी पसंद नहीं किया.
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
🍃💘ए "साॅवरिया" हीचकीया दीलाकर ये कैसी उलझन बढा रहे हो...😊आंखे बंद है फिर भी नजर आरहेहो. 😊.बस इतना बता दो ए कन्हैया.....हमें याद कर रहे हो या अपनी याद दिला रहे हो...💞🙏🙏🙏
🎲 मिश्री से मीठे है
           कृष्ण के बोल
      💰 कोई कैसे लगाये
           उनका मोल
      💎 हीरे से ज्यादा है
         कृष्ण अनमोल
       📯 अब तो
          जय श्री कृष्ण
                 बोल
      📼📼📼📼📼
    ♨


🔫: 🌞🙏(:-बहुत समय पहले की बात है वृन्दावन में श्रीबांके
बिहारी जी के मंदिर में रोज पुजारी जी बड़े भाव से सेवा
करते थे। वे रोज बिहारी जी की आरती करते , भोग
लगाते और उन्हें शयन कराते और रोज चार लड्डू
भगवान के बिस्तर के पास रख देते थे। उनका यह भाव
था कि बिहारी जी को यदि रात में भूख लगेगी तो वे उठ
कर खा लेंगे। और जब वे सुबह मंदिर के पट खोलते थे
तो भगवान के बिस्तर पर प्रसाद बिखरा मिलता था।
इसी भाव से वे रोज ऐसा करते थे।
एक दिन बिहारी जी को शयन कराने के बाद वे चार
लड्डू रखना भूल गए। उन्होंने पट बंद किए और चले
गए। रात में करीब एक-दो बजे , जिस दुकान से वे बूंदी
के लड्डू आते थे , उन बाबा की दुकान खुली थी। वे घर
जाने ही वाले थे तभी एक छोटा सा बालक आया और
बोला बाबा मुझे बूंदी के लड्डू चाहिए।
बाबा ने कहा - लाला लड्डू तो सारे ख़त्म हो गए। अब
तो मैं दुकान बंद करने जा रहा हूँ। वह बोला आप अंदर
जाकर देखो आपके पास चार लड्डू रखे हैं। उसके हठ
करने पर बाबा ने अंदर जाकर देखा तो उन्हें चार लड्डू
मिल गए क्यों कि वे आज मंदिर नहीं गए थे। बाबा ने
कहा - पैसे दो।
बालक ने कहा - मेरे पास पैसे तो नहीं हैं और तुरंत
अपने हाथ से सोने का कंगन उतारा और बाबा को देने
लगे। तो बाबा ने कहा - लाला पैसे नहीं हैं तो रहने दो ,
कल अपने बाबा से कह देना , मैं उनसे ले लूँगा। पर वह
बालक नहीं माना और कंगन दुकान में फैंक कर भाग
गया। सुबह जब पुजारी जी ने पट खोला तो उन्होंने देखा
कि बिहारी जी के हाथ में कंगन नहीं है। यदि चोर भी
चुराता तो केवल कंगन ही क्यों चुराता। थोड़ी देर बाद
ये बात सारे मंदिर में फ़ैल गई।
जब उस दुकान वाले को पता चला तो उसे रात की बात
याद आई। उसने अपनी दुकान में कंगन ढूंढा और पुजारी
जी को दिखाया और सारी बात सुनाई। तब पुजारी जी
को याद आया कि रात में , मैं लड्डू रखना ही भूल गया
था। इसलिए बिहारी जी स्वयं लड्डू लेने गए थे।
🌿यदि भक्ति में भक्त कोई सेवा भूल भी जाता है तो
भगवान अपनी तरफ से पूरा कर लेते हैं।
🌞🙏(नमो नारायण) 🌞🙏
🌞🙏(अपने अाराध्य का दास यति)🌞🙏

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