मंगलवार, 9 अगस्त 2016

Bahot hi pyari katha jab shri hari Krishn ka avtar lene vale the

एक बहोत ही प्यारी कथा जब भगवान श्री हरि विष्णु श्रीकृष्ण का अवतार लेने वाले थे

♥●जय श्री कृष्ण●♥

विष्णुजी के ब्रज में कृष्ण रूप में अवतार लेने की बात जब देवताओ को पता लगी तो सभी बाल कृष्ण की लीला के साक्षी बनने को लालायित हो गए।
देवताओं ने व्रज में कोई ग्वाला कोई गोपी कोई गाय, कोई मोर तो कोई तोते के रूप में जन्म लिया।कुछ देवता और ऋषि रह गए थे।वे सभी ब्रह्माजी के पास आये और कहने लगे कि ब्रह्मदेव आप ने हमें व्रज में क्यों नही भेजा?
आप कुछ भी करिए किसी भी रूप में भेजिए।ब्रह्मा जी बोले व्रज में जितने लोगों को भेजना संभव था उतने लोगों को भेज दिया है अब व्रज में कोई भी जगह खाली नहीं बची है। देवताओं ने अनुरोध किया प्रभु आप हमें ग्वाले ही बना दें ब्रह्माजी बोले जितने लोगों को बनाना था उतनों को बना दिया और ग्वाले नहीं बना सकते।देवता बोले प्रभु ग्वाले नहीं बना सकते तो हमे बरसाने को गोपियां ही बना दें ब्रह्माजी बोले अब गोपियों की भी जगह खाली नही है।देवता बोले गोपी नहीं बना सकते, ग्वाला नहीं बना सकते तो आप हमें गायें ही बना दें। ब्रह्माजी बोले गाएं भी खूब बना दी हैं। अकेले नन्द बाबा के पास बहोत  गाएं हैं।अब और गाएं नहीं बना सकते।
देवता बोले प्रभु चलो मोर ही बना दें।नाच-नाच कर कान्हा को रिझाया करेंगे। ब्रह्माजी बोले मोर भी खूब बना दिए। इतने मोर बना दिए की व्रज में समा नहीं पा रहे।उनके लिए अलग से मोर कुटी बनानी पड़ी। देवता बोले तो कोई तोता,मैना, चिड़िया, कबूतर, बंदर  कुछ भी बना दीजिए। ब्रह्माजी बोले वो भी खूब बना दिए पुरे पेड़,भरे हुए हैं पक्षियों से।देवता बोले तो कोई पेड़-पौधा, लता - पता ही बना दें।
ब्रह्मा जी बोले- पेड़-पौधे, लता-पता भी मैंने इतने बना दिए की सूर्यदेव मुझसे रुष्ट है कि उनकी किरने भी बड़ी कठिनाई से ब्रिज की धरती को स्पर्श करती हैं।देवता बोले प्रभु कोई तो जगह दें हमें भी व्रज में भेजिए।ब्रह्मा जी बोले-कोई जगह खाली नही है।तब देवताओ ने हाथ जोड़ कर ब्रह्माजी से कहा प्रभु अगर हम कोई जगह अपने लिए ढूंढ़ के ले आएं तो आप हम को व्रज में भेज देंगे।ब्रह्मा जी बोले हाँ तुम अपने लिए कोई जगह ढूंढ़ के ले आओगे तो मैं तुम्हें व्रज में भेज दूंगा। देवताओ ने कहा धुल और रेत कणो कि तो कोई सीमा नहीं हो सकती और कुछ नहीं तो बालकृष्ण लल्ला के चरण पड़ने से ही हमारा कल्याण हो जाएगा हम को व्रज में धूल रेत ही बना दे।ब्रह्मा जी ने उनकी बात मान ली। उन लोगों को धुल रेत बना दिए

इसलिए जब भी व्रज जाये तो धूल और रेत से क्षमा मांग कर अपना पैर धरती पर रखे क्योंकि व्रज की रेत भी सामान्य नही है वो रज तो देवी देवता ऋषि-मुनि हैं।

                        जय श्री राधे राधे



🌹जय श्री कृष्णा🌹

रविवार, 7 अगस्त 2016

Agar aap ram bhakt hai to ise padhne ke baad apko bhi gurve hoga

एक लडकी  बजार करके घर लौट रही थी साम का वक्त था भुख भी लगी थी कूछ खाने का मन हुआ ,

इसलिये वो लडकी पानीपुरी वाले के ठेले के पास रुकी ..

अकेली लडकी को देखकर बाजू में ही पान
के दुकान  पर बैठे कुछ लडके उस ठेले के पास आ गए ..
.
उन लडको ने उस लडकी को छेडना शुरू कर दिया..
अश्लिल गाने और भाषा चालु हो गयी..

गंदी नज़र उस लडकी के शरीर के उपर से घुमने लगी..
बिचारी लडकी पहले ही पैसे दे चुकी थी , इसलिए वह जा भी नही सकती थी

अपनी ओढनी संभालते हुए..
"भैया जल्दी दो"..
इसके अलावा वह कूछ बोल नही पा रही थी
घबराई हुई उसकी नज़र सिर्फ नीचे देख रही थी..
.
उतने में वहा और एक लडका अपनी बाईक लेकर उस लडकी के पास आकर रुख गया..
.
पहले ही डरी हुई वो लडकी एक और लडके के आने से और ज्यादा डर गई..
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तब वो बाईक वाला लडका बोला..
" अरे अंजली तुम यहाँ "अपने भाई को छोडकर अकेले ही
पानी पुरी खा रही हो ?"

.
बाकी लडको को खतरा दिखते ही वे सब वहा से तुरन्त  चले गए
.
अपने उपर आया हुआ खतरा टल गया ये देखकर लडकी को थोडा safe महसूस हुआ ..
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न रहकर लडकी ने उस बाईक वाले लडके को पूछा ..
"माफ कीजिये , पर मेरा नाम अंजली नही,  पुर्वा है"
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वो लडका मुस्कुराते हुए बोला "क्या फरक पडता है.. तुम हो तो किसी की बहन ही "?
.लडकी जब वहां से चली गई
तब वो लडका हेल्मेट पहनकर बाईक से चला गया.
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उस जाते हुए लडके के तरफ देखकर लडकी को बहुत गर्व हुआ

क्यूंकि ...
.
उसके  बाइक पर लिखा हुआ था..........

💐 💐  राम भक्त   💐 💐

तो चलीये हम सभी  राम भक्त  मिलकर प्रतिज्ञा करे कि
हम अपनी बहनो के साथ दुसरो की बहनो की भी रक्षा करेंगे 🍃🍂

शुक्रवार, 20 मई 2016

Ek Hindu veer ki kahani

क्यों नहीं पढाई गईं अकबर की पराजय गाथा? क्यों नहीं जानती नई पीढी उसे हराने वाले वीर योद्धा भानजी दल जाडेजा को?
आज हम एक ऐसे वीर योद्धा भान जी दल जाडेजा के बारे में बताने जा रहे है जिसने अपने राज्य पर बुरी नजर रखनेवाले मुगलों को गाजर मूली की तरह काटा | इतना ही नहीं तो उनका नेतृत्व करने वाले अकबर को भागने पर मजबूर कर दिया ! लेकिन दुर्भाग्य देश का कि नई पीढी को इस वीर योद्धा के बारे में पढाया और सुनाया ही नही गया ! भान जी दल जाडेजा ने अकबर को बुरी तरह परास्त किया और उसे भागने पर मजबूर कर दिया और साथ ही साथ उसके 52 हाथी 3530 घोड़े पालकिया आदि अपने कब्जे में ले लिए !
विक्रम सम्वंत 1633(1576 ईस्वी) में मेवाड़,गोंड़वाना के साथ साथ गुजरात भी मुगलो से लोहा ले रहा था | गुजरात में स्वय अकबर और उसका सेनापति कमान संभाले थे ! अकबर ने जूनागढ़ रियासत पर 1576 ईस्वी में आक्रमण करना चाहा तब वहां के नवाब ने पडोसी राज्य नवानगर (जामनगर) के राजा जाम सताजी जडेजा से सहायता मांगी ! क्षत्रिय धर्म के अनुरूप महाराजा ने पडोसी राज्य जूनागढ़ की सहायता के लिए अपने 30000 योद्धाओ को भेजा जिसका नेतत्व कर रहे थे नवानगर के सेनापति वीर योद्धा भान जी दल जाडेजा!
सभी योद्धा देवी दर्शन के पश्चात् तलवार शस्त्र पूजा कर जूनागढ़ की सहायता को निकले, पर माँ भवानी को कुछ और ही मंजूर था ! उस दिन जूनागढ़ के नवाब ने अकबर की विशाल सेना के सामने लड़ने से इंकार कर दिया व आत्मसमर्पण के लिए तैयार हो गया ! नवानगर के सेनापति ने वीर भान जी दल जाडेजा को वापस अपने राज्य लौट जाने को कहा ! इस पर भान जी और उनके वीर राजपूत योद्धा अत्यंत क्रोधित हुए ! भानजी जडेजा ने सीधे सीधे जूनागढ़ नवाब को राजपूती तेवर में कहा “क्षत्रिय युद्ध के लिए निकला है तो या तो जीतकर लौटेगा या फिर रण भूमि में वीर गति को प्राप्त करेगा” !
वहां सभी वीर जानते थे की जूनागढ़ के बाद नवानगर पर आक्रमण होगा ही, इसलिए सभी वीरो ने फैसला किया कि वे बिना युद्ध किये नही लौटेंगे ! अकबर की सेना लाखो में थी ! उन्होंने मजेवाड़ी गाँव के मैदान में अपना डेरा जमा रखा था ! भान जी जडेजा ने मुगलो के तरीके से ही कुटनीति का उपयोग करते हुए आधी रात को युद्ध लड़ने का फैसला किया !
सभी योद्धा आपस में गले मिले फिर अपने इष्ट देव का स्मरण कर युद्ध स्थल की ओर निकल पड़े ! आधी रात हुई और युद्ध आरम्भ हुआ ! रात के अँधेरे में हजारो मुगलो को काटा गया ! सुबह तक युद्ध चला, मुगलो का नेतृत्व कर रहा मिर्ज़ा खान और मुग़ल सेना अपना सामान छोड़ भाग खड़ी हुयी !
हालांकि अकबर इस युद्धस्थल से कुछ ही दूर था, किन्तु उसने भी स्थिति की गंभीरता को भांपकर पैर पीछे खींचने में ही भलाई समझी | वह भी सुबह होते ही अपने विश्वसनीय लोगो के साथ काठियावाड़ छोड़कर भाग खड़ा हुआ !
नवानगर की सेना ने मुगलो का 20 कोस तक पीछा किया ! जो हाथ आये वो मारे गए ! अंत में भान जी दल जाडेजा ने मजेवाड़ी में अकबर के शिविर से 52 हाथी 3530 घोड़े और पालकियों को अपने कब्जे में ले लिया ! उस के बाद यह काठियावाड़ी फ़ौज नवाब को उसकी कायरता की सजा देने के लिए सीधी जूनागढ़ गयी ! जूनागढ़ किले के दरवाजे उखाड दिए गए ! ये दरवाजे आज जामनगर में खम्बालिया दरवाजे के नाम से जाने जाते है और आज भी वहां लगे हुए है !
बाद में जूनागढ़ के नवाब को शर्मिन्दिगी और पछतावा हुआ उसने नवानगर महाराजा साताजी से क्षमा मांगी और दंड स्वरूप् जूनागढ़ रियासत के चुरू ,भार सहित 24 गांव और जोधपुर परगना (काठियावाड़ वाला) नवानगर रियासत को दिए ! कुछ समय बाद बदला लेने की मंशा से अकबर फिर 1639 में आया किन्तु इस बार भी उसे "तामाचान की लड़ाई" में फिर हार का मुँह देखना पड़ा !

गुरुवार, 5 मई 2016

एक बार पहले भी आ चुकी है धरती पर प्रलय खतम हो गया था सब कुछ जाने कब

 राजा मनु  इस पृथ्वी के पहले मनुष्य माने जाते हैं। वह इसलिए कि जब धरती पर प्रलय आया तो भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया।
जब-जब पृथ्वी पर प्रलय आता है भगवान विष्णु अवतरित होते हैं पहली बार जब प्रलय आया तो प्रभु मत्स्य अवतार में अवतरित हुए और कलयुग के अंत में जब महाप्रलय होगा तब कल्कि अवतार में अवतरित होंगे।


पौराणिक ग्रंथों में मनाली को मनु का घर कहा गया है। मनाली हिमाचल प्रदेश में है। कहा जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तो एकमात्र मनु ही जीवित बचे थे। मनाली में आकर ही उन्होनें मनुष्य की पुनर्रचना की। इसलिए मनाली को हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है।
राजा मनु का मंदिर
यहां पृथ्वी के पहले मानव राजा मनु का मंदिर है। यह मंदिर महर्षि मनु के नाम से पहचाना जाता है। यहां आकर उन्होंने ध्यान लगाया था। मंदिर तक पहुंचने का मार्ग फिसलन भरा है। वैसे पुरानी मनाली मनाली से 3 किमी उत्तर पश्चिम में है जो बगीचों और प्राचीन अतिथिग्रहों के लिए काफी प्रसिद्ध है।
जब वेदों को ले गया दैत्य
प्रलय के ठीक पहले जब ब्रह्माजी के मुंह से वेदों का ज्ञान निकल गया, ऐसे में असुर हयग्रीव ने उस ज्ञान को चुरा लिया। तब भगवान विष्णु अपने प्रथम अवतार मत्स्य के रूप में अवतरित हुए और स्वयं को राजा सत्यव्रत मनु के सामने एक छोटी, लाचार मछली बनकर आए।


सुबह जब राजा मनु सूर्यदेव को अर्घ्य दे रहे थे तभी एक मछली ने उनसे कहा कि आप मुझे अपने कमंडल में शरण दीजिए। राजा ने मछली को अपने कमंडल में रख लिया और घर की ओर चल दिए, घर पहुंचते तक वह मछली उस कमंडल के आकार की हो गई, राजा ने इसे एक अन्य पात्र पर रखा परंतु कुछ समय बाद वह मछली उस पात्र के आकार की हो गई। उस मछली को तालाब में भिजवाया गया तो वह तालाब के आकार की हो गई।
अंत में राजा ने उसे समुद्र में डाला तो उसने पूरे समुद्र को ढंक लिया। उस सुनहरी-रंग मछली ने अपने दिव्य पहचान उजागर की और अपने भक्त राजा मनु को बताया कि ठीक सातवें दिन प्रलय आएगा। इस दौरान विश्व का नया सृजन होगा।
सातवें दिन प्रलय आया। प्रलय के समय राजा मनु अपने साथ एक संदूक में वनस्पति, पौधों के बीज, जीव-जंतु, सप्त ऋर्षि आदि को ले उस भयावह बाढ़ रूपी प्रलय से ले गए।
फिर यह अति-विशाल मछली यानी मत्स्य अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने दैत्य हयग्रीव को मारकर वेदो को गुमनाम होने से बचाया और उसे ब्रह्माजी को दे दिया। जब ब्रह्माजी अपनी नींद से जागे तब प्रलय का अंत हो चुका था।


इसे ब्रम्ह की रात पुकारा जाता है, जो गणना के आधार पर 4, 320, 000, 000 सालों तक एक दिन चलता है। जब संसार में प्रलय आया तो पृथ्वी को नष्ट करने लगा। तब एक विशाल नाव आई, जिस पर राजा मनु के साथ उनके साथ सभी चढ़े। मत्स्य भगवान ने उसे सर्पराज वासुकि को डोर बनाकर बांध से लिया और सुमेरु पर्वत की ओर प्रस्थान किया।
रास्ते में भगवान मत्स्य नारायण ने मनु (सत्यव्रत) को मत्स्य पुराण सुनाया और इस तरह प्रभु ने सबकी प्रलय से रक्षा की, तथा पौधों तथा जीवों की नस्लों को बचाया और मत्स्य पुराण की विद्या को नए युग में प्रसारित किया।

Kalyug ka ant kab hoga kab hoga kalki avtar Jane 10 भविष्यवाणी

1-  ब्रह्मपुराण में उल्लेखित है कि कलियुग की अवधि, 10 हजार साल है। इस दौरान, मानव जाति का पतन होगा, लोगों में द्धेष और दुर्भावना बढ़ेगी। इसका अंत करने के लिए भगवान विष्णु कल्कि का रूप धारण करेंगे।


2- कलियुग के पांच हजार साल बाद गंगा नदी सूख जाएगी और पुन: वैकुण्ठ धाम लौट जाएगीं। जब कलियुग के दस हजार वर्ष हो जाएंगे तब सभी देवी-देवता पृथ्वी छोड़कर अपने धाम लौट जाएंगे। मनुष्य पूजन-कर्मकांड, व्रत-उपवास और सभी धार्मिक काम करना बंद कर देंगे

3 - कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा। जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता नष्ट हो जाएगी। रिश्ते खत्म हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा।

Click here जला डालो ऐसी किताबो को जहा ये लिखा है की अकबर महान था, फाड़ दो उन पृष्ठों को जो कहते है की बाबर बहुत शक्तिशाली था,

4- कलियुग में ऐसा समय आएगा जब स्त्री और पुरुष, दोनों ही अधर्मी हो जाएंगी। स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देगी और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे।

5- अन्याय से धन हासिल करने वाले लोगों में बढ़ोत्तरी होगी। लोग धन के लोभ में किसी की हत्या करने में भी संकोच नहीं करेंगे।

6- कलियुग के अंत में मनुष्य की आयु महज 12 वर्ष और शरीर मात्र 4 इंच का रह जाएगा।

7- एक समय ऐसा आएगा, जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा। पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे। धीरे-धीरे ये सारी चीजें विलुप्त हो जाएंगी। गाय दूध देना बंद कर देगी।

8- कलियुग में नदियां सूख जाएंगी। पत्नियों को अपने पतियों से अनुराग कम हो जाएगा।

9 - जब आतंक अपनी चरम सीमा में होगा तो भगवान विष्णु का कल्कि अवतार लेंगे। यह अवतार विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेगा। भगवान कल्कि बहुत ऊंचे घोड़े पर चढ़कर अपनी विशाल तलवार से सभी अधर्मियों का नाश करेंगे।

10- भगवान कल्कि केवल तीन दिनों में पृथ्वी से समस्त अधर्मियों का नाश कर देंगे। और फिर अंत में कलियुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी, जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा। इसके बाद एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी।

मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

EK KAHANI KARM KI

एक चित्रकार था,  जो अद्धभुत चित्र बनाता था। लोग उसकी चित्रकारी की काफी तारीफ़ करते थे। एक दिन कृष्ण मंदिर के भक्तों ने उनसे "कृष्ण
और कंस" का एक चित्र बनाने की इच्छा प्रगट की। चित्रकार इसके लिये तैयार हो गया, आखिर भगवान् का काम था।

पर उसने कुछ शर्ते रखी। उसने कहा मुझे योग्य पात्र चाहिए, अगर वे मिल जाए तो में आसानी से चित्र बना दूंगा।

कृष्ण के चित्र लिए एक योग्य नटखट बालक और कंस के लिए क्रूर भाव वाला व्यक्ति लाकर दे, तब मैं चित्र बनाकर दूंगा। कृष्ण मंदिर के भक्त एक बालक ले आये, बालक सुन्दर था।

चित्रकार ने उसे पसंद किया और उस बालक को सामने रख बालकृष्ण का एक सुंदर चित्र बनाया।

अब बारी कंस की थी पर क्रूर भाव वाले  व्यक्ति को ढूंढना थोडा मुश्किल था। जो व्यक्ति कृष्ण मंदिर वालो को पसंद आता, वो चित्रकार को पसंद नहीं आता। उसे वो भाव मिल नहीं रहे थे... वक्त गुजरता गया।

आखिरकार थक-हार कर सालों बाद वो अब जेल में चित्रकार को ले गए, जहाँ उम्र केद काट रहे अपराधी थे। उन अपराधीयों में से एक को चित्रकार ने पसंद किया और उसे सामने रखकर उसने कंस का एक चित्र बनाया।

कृष्ण और कंस की वो तस्वीर आज सालों के बाद पूर्ण हुई। कृष्ण मंदिर के भक्त वो तस्वीरे देखकर  मंत्रमुग्ध हो गए।

उस अपराधी ने भी वह तस्वीरें देखने की इच्छा व्यक्त की। उस अपराधी ने जब वो तस्वीरे देखी तो वो फुट-फुटकर रोने लगा। सभी ये देख अचंभित हो गए। चित्रकार ने उससे इसका कारण बड़े प्यार से पूछा।

तब वह अपराधी बोला "शायद आपने मुझे पहचाना नहीं, मैं वो ही बच्चा हुँ जिसे सालों पहले आपने बालकृष्ण के चित्र के लिए पसंद किया था। मेरे कुकर्मो से आज में कंस बन गया, इस तस्वीर में "मैं ही कृष्ण", "मैं ही कंस" हुँ।
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🏻 "हमारे कर्म ही हमे अच्छा और बुरा इंसान बनाते हैं।"
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शनिवार, 16 जनवरी 2016

Radhe kisan ki Mahima

इस कथा को एक बार जरुर पढें और यदि आवश्यक समझें तो Share भी करे ।
 प्रभु श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ बहुत-सी लीलायें की हैं । श्री कृष्ण गोपियों की मटकी फोड़ते और माखन चुराते और गोपियाँ श्री कृष्ण का उलाहना लेकर यशोदा मैया के पास जातीं । ऐसा बहुत बार हुआ ।
 एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ी । जब प्रभु ने अपनी मैया को क्रोध में देखा तो वह अपना बचाव करने के लिए भागने लगे ।
 भागते-भागते श्री कृष्ण एक कुम्भार के पास पहुँचे । कुम्भार तो अपने मिट्टी के घड़े बनाने में व्यस्त था । लेकिन जैसे ही कुम्भार ने श्री कृष्ण को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ । कुम्भार जानता था कि श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर हैं । तब प्रभु ने कुम्भार से कहा कि 'कुम्भार जी, आज मेरी मैया मुझ पर बहुत क्रोधित है । मैया छड़ी लेकर मेरे पीछे आ रही है । भैया, मुझे कहीं छुपा लो ।'
 तब कुम्भार ने श्री कृष्ण को एक बडे से मटके के नीचे छिपा दिया । कुछ ही क्षणों में मैया यशोदा भी वहाँ आ गयीं और कुम्भार से पूछने लगी - 'क्यूँ रे, कुम्भार ! तूने मेरे कन्हैया को कहीं देखा है, क्या ?'
 कुम्भार ने कह दिया - 'नहीं, मैया ! मैंने कन्हैया को नहीं देखा ।' श्री कृष्ण ये सब बातें बडे से घड़े के नीचे छुपकर सुन रहे थे । मैया तो वहाँ से चली गयीं ।
 अब प्रभु श्री कृष्ण कुम्भार से कहते हैं - 'कुम्भार जी, यदि मैया चली गयी हो तो मुझे इस घड़े से बाहर निकालो ।'
 कुम्भार बोला - 'ऐसे नहीं, प्रभु जी ! पहले मुझे चौरासी लाख यानियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो ।'
 भगवान मुस्कुराये और कहा - 'ठीक है, मैं तुम्हें चौरासी लाख योनियों से मुक्त करने का वचन देता हूँ । अब तो मुझे बाहर निकाल दो ।'
 कुम्भार कहने लगा - 'मुझे अकेले नहीं, प्रभु जी ! मेरे परिवार के सभी लोगों को भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दोगे तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकालूँगा ।'
 प्रभु जी कहते हैं - 'चलो ठीक है, उनको भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त होने का मैं वचन देता हूँ । अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो ।'
 अब कुम्भार कहता है - 'बस, प्रभु जी ! एक विनती और है । उसे भी पूरा करने का वचन दे दो तो मैं आपको घड़े से बाहर निकाल दूँगा ।'
 भगवान बोले - 'वो भी बता दे, क्या कहना चाहते हो ?'
 कुम्भार कहने लगा - 'प्रभु जी ! जिस घड़े के नीचे आप छुपे हो, उसकी मिट्टी मेरे बैलों के ऊपर लाद के लायी गयी है । मेरे इन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो ।'
 भगवान ने कुम्भार के प्रेम पर प्रसन्न होकर उन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त होने का वचन दिया ।'
 प्रभु बोले - 'अब तो तुम्हारी सब इच्छा पूरी हो गयी, अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो ।'
 तब कुम्भार कहता है - 'अभी नहीं, भगवन ! बस, एक अन्तिम इच्छा और है । उसे भी पूरा कर दीजिये और वो ये है - जो भी प्राणी हम दोनों के बीच के इस संवाद को सुनेगा, उसे भी आप चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करोगे । बस, यह वचन दे दो तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकाल दूँगा ।'
 कुम्भार की प्रेम भरी बातों को सुन कर प्रभु श्री कृष्ण बहुत खुश हुए और कुम्भार की इस इच्छा को भी पूरा करने का वचन दिया ।
 फिर कुम्भार ने बाल श्री कृष्ण को घड़े से बाहर निकाल दिया । उनके चरणों में साष्टांग प्रणाम किया । प्रभु जी के चरण धोये और चरणामृत पीया । अपनी पूरी झोंपड़ी में चरणामृत का छिड़काव किया और प्रभु जी के गले लगकर इतना रोये क़ि प्रभु में ही विलीन हो गये ।
 जरा सोच करके देखिये, जो बाल श्री कृष्ण सात कोस लम्बे-चौड़े गोवर्धन पर्वत को अपनी इक्क्नी अंगुली पर उठा सकते हैं, तो क्या वो एक घड़ा नहीं उठा सकते थे ।
 लेकिन बिना प्रेम रीझे नहीं नटवर नन्द किशोर । कोई कितने भी यज्ञ करे, अनुष्ठान करे, कितना भी दान करे, चाहे कितनी भी भक्ति करे, लेकिन जब तक मन में प्राणी मात्र के लिए प्रेम नहीं होगा, प्रभु श्री कृष्ण मिल नहीं सकते ।
✨🙏🏻🙏🏻!! जय श्री राधे