गुरुवार, 5 मई 2016

एक बार पहले भी आ चुकी है धरती पर प्रलय खतम हो गया था सब कुछ जाने कब

 राजा मनु  इस पृथ्वी के पहले मनुष्य माने जाते हैं। वह इसलिए कि जब धरती पर प्रलय आया तो भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया।
जब-जब पृथ्वी पर प्रलय आता है भगवान विष्णु अवतरित होते हैं पहली बार जब प्रलय आया तो प्रभु मत्स्य अवतार में अवतरित हुए और कलयुग के अंत में जब महाप्रलय होगा तब कल्कि अवतार में अवतरित होंगे।


पौराणिक ग्रंथों में मनाली को मनु का घर कहा गया है। मनाली हिमाचल प्रदेश में है। कहा जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तो एकमात्र मनु ही जीवित बचे थे। मनाली में आकर ही उन्होनें मनुष्य की पुनर्रचना की। इसलिए मनाली को हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है।
राजा मनु का मंदिर
यहां पृथ्वी के पहले मानव राजा मनु का मंदिर है। यह मंदिर महर्षि मनु के नाम से पहचाना जाता है। यहां आकर उन्होंने ध्यान लगाया था। मंदिर तक पहुंचने का मार्ग फिसलन भरा है। वैसे पुरानी मनाली मनाली से 3 किमी उत्तर पश्चिम में है जो बगीचों और प्राचीन अतिथिग्रहों के लिए काफी प्रसिद्ध है।
जब वेदों को ले गया दैत्य
प्रलय के ठीक पहले जब ब्रह्माजी के मुंह से वेदों का ज्ञान निकल गया, ऐसे में असुर हयग्रीव ने उस ज्ञान को चुरा लिया। तब भगवान विष्णु अपने प्रथम अवतार मत्स्य के रूप में अवतरित हुए और स्वयं को राजा सत्यव्रत मनु के सामने एक छोटी, लाचार मछली बनकर आए।


सुबह जब राजा मनु सूर्यदेव को अर्घ्य दे रहे थे तभी एक मछली ने उनसे कहा कि आप मुझे अपने कमंडल में शरण दीजिए। राजा ने मछली को अपने कमंडल में रख लिया और घर की ओर चल दिए, घर पहुंचते तक वह मछली उस कमंडल के आकार की हो गई, राजा ने इसे एक अन्य पात्र पर रखा परंतु कुछ समय बाद वह मछली उस पात्र के आकार की हो गई। उस मछली को तालाब में भिजवाया गया तो वह तालाब के आकार की हो गई।
अंत में राजा ने उसे समुद्र में डाला तो उसने पूरे समुद्र को ढंक लिया। उस सुनहरी-रंग मछली ने अपने दिव्य पहचान उजागर की और अपने भक्त राजा मनु को बताया कि ठीक सातवें दिन प्रलय आएगा। इस दौरान विश्व का नया सृजन होगा।
सातवें दिन प्रलय आया। प्रलय के समय राजा मनु अपने साथ एक संदूक में वनस्पति, पौधों के बीज, जीव-जंतु, सप्त ऋर्षि आदि को ले उस भयावह बाढ़ रूपी प्रलय से ले गए।
फिर यह अति-विशाल मछली यानी मत्स्य अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने दैत्य हयग्रीव को मारकर वेदो को गुमनाम होने से बचाया और उसे ब्रह्माजी को दे दिया। जब ब्रह्माजी अपनी नींद से जागे तब प्रलय का अंत हो चुका था।


इसे ब्रम्ह की रात पुकारा जाता है, जो गणना के आधार पर 4, 320, 000, 000 सालों तक एक दिन चलता है। जब संसार में प्रलय आया तो पृथ्वी को नष्ट करने लगा। तब एक विशाल नाव आई, जिस पर राजा मनु के साथ उनके साथ सभी चढ़े। मत्स्य भगवान ने उसे सर्पराज वासुकि को डोर बनाकर बांध से लिया और सुमेरु पर्वत की ओर प्रस्थान किया।
रास्ते में भगवान मत्स्य नारायण ने मनु (सत्यव्रत) को मत्स्य पुराण सुनाया और इस तरह प्रभु ने सबकी प्रलय से रक्षा की, तथा पौधों तथा जीवों की नस्लों को बचाया और मत्स्य पुराण की विद्या को नए युग में प्रसारित किया।

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