वो कस्बे में डर डर के रहता था।
हालाँकि वो डरपोक नहीं था पर फिर भी डर–डर के रहना उसकी आदत हो गई थी।
उसके डर की वजह भी थी। कोई आम नहीं बल्कि खास थी।
उस कसबे की तीन – चौथाई आबादी हरे रंग की(मुस्लिम)थी।
जबकि वो हिन्दू था।
उसकी एक लड़की थी। टीनएज की।यही वजह थी कि वो कसबे में डरा – सहमा रहता था।
उसने इतिहास पढ़ा था।
दुनिया देखी थी।
वो जानता था हरे रंग के रीत – रिवाज़ों में हिन्दू लड़की से जिस्मानी सम्बन्ध की बड़ी मान्यता है।
हिन्दू लड़की के कौमार्य को हासिल करने वाले हरे रंग के लड़के पर इस लोक और उस लोक दोनों जगह इनामों की बरसात होती है।
और ये ईनाम हरे रंग के लड़को के मनोबल चार गुना बड़ा देते है।
उसका डर थोड़ा और बढ़ गया था।
डर के बढ़ने की वजह भी थी। कसबे में रहने वाली 5-6 हिन्दू लड़की के साथ पहले ही मुस्लिम लड़के नीच हरकत कर चुके थे।
उन्होंने उन कई नारंगी देहों की दुर्दशा उजागर की थी जिन पर प्यार के नाम पर हरा रंग छिड़का गया था।
यूँ कहे तो वो ‘लव जिहाद’ की मुहीम से नारंगी देहों का शोषण हुआ था।
उसकी टीनएज लड़की जब तक स्कूल या बाजार से वापस नहीं आ जाती उसका दिल धड़कता रहता।
बुरे – बुरे ख्याल उसे परेशान करते रहते थे।
पिता होकर भी वो अपनी लड़की को चोर निगाहों से देखता।
किसी बदनीयती से नहीं।
बल्कि इसलिए कि किसी ने उसकी लड़की पे बदनीयती का हरा रंग तो नहीं छिड़क दिया।
कभी – कभी उसकी लड़की मोबाईल पर किसी से हँस कर करती तो उसका डर कलेजे में धड़क उठता।
कहीं मोबाईल पे दूसरी और कोई हरे रंग वाला लड़का तो नहीं।
लव जिहाद के फ़िराक में।
अचानक उसे पता चला कि लड़की किसी एक मुस्लिम लड़के से हँस कर बोलती – बतियाती है।
चुपके से उसने लड़की का मोबाईल चैक किया।
प्रेम के मेसेज के आदान – प्रदान के साथ एक ही नंबर पर ढेर फोन काल थे।
लड़के का नाम अफ़रोज़ था। मतलब हरे रंग वाला।
उसका डर बढ़ कर अब हद के करीब पहुँच गया।
लड़की के कॉलेज जाने पर रोक लगा दी गयी , लेकिन एक दिन लड़की मौका पा कर अफरोज के साथ घर से लापता हो गयी।
बाप तो उससे हर रिश्ता तोड़ चुका था , मन मे ठान चुका था कि अब लड़की को कभी अपनी देहलीज पर पैर नही रखने देगा।
अफरोज के परिवार का भी विरोध न कर सका क्योकि कस्बे में हरे रंग का आबादी बहुत ज्यादा थी और हिन्दू उनसे डरते थे।
उसका गाव के अब्दुल के साथ उठना – बैठने था सो अब्दुल उसे अबे – तबे से ज्यादा नहीं बोलता था।
पूरा पर्दा सरकने के बाद अब्दुल ने अपने दाये हाथ की तर्जनी से अपनी दाढ़ी खुजाई, फिर अचानक हो हो करके हंस पड़ा।
वो हँस रहा था और विजय(लड़की का बाप)उसे यूँ हँसता देख खुद को अहमक समझ रहा था।
अब्दुल को वो अहमक समझे ऐसा हक़ भी उसे हांसिल नहीं था।
वो गेरुए रंग का जो था। गेरुया रंग कसबे में अल्पसंख्यक जो था।
अचानक अपनी हँसी रोक कर अब्दुल ने एक चपत विजय के जांघ पर मारी और फिर बोला ‘ये क्या मनघड़ंत बवाल पाल रखा है मिया तुमने अपने दिल में।
ये लव सव जिहाद कुछ नहीं होता है। अरे तुम्हारी लड़की को प्यार – स्यार हुआ है, उस लड़के से।
इसलिये वो निकाह करके सलमा बन गयी और बहुत खुश है।
लेकिन कुछ दिनों के बाद ही अफरोज दूसरी बेगम ले आया और सलमा बनी हिन्दू लड़की ने जब विरोध किया , पुलिस के पास जाने की धमकी दी तो उसे ऐसिड डाल कर जला डाला...
लड़की कुछ दिन हॉस्पिटल में तड़पती रही वो आखिर में कुछ दिनों के बाद अपना दम तोड़ दिया...
ये ही सच्चाई लव जिहाद का शिकार होने वाली हर हिन्दू लड़की की।
लेकिन सच्चाई जानते हुए भी रोज हजारो लड़कियां हरे रंग वाले लड़के का शिकार हो रही है।
और ये कहानी नही बल्कि एक सच्ची घटना है.....
हालाँकि वो डरपोक नहीं था पर फिर भी डर–डर के रहना उसकी आदत हो गई थी।
उसके डर की वजह भी थी। कोई आम नहीं बल्कि खास थी।
उस कसबे की तीन – चौथाई आबादी हरे रंग की(मुस्लिम)थी।
जबकि वो हिन्दू था।
उसकी एक लड़की थी। टीनएज की।यही वजह थी कि वो कसबे में डरा – सहमा रहता था।
उसने इतिहास पढ़ा था।
दुनिया देखी थी।
वो जानता था हरे रंग के रीत – रिवाज़ों में हिन्दू लड़की से जिस्मानी सम्बन्ध की बड़ी मान्यता है।
हिन्दू लड़की के कौमार्य को हासिल करने वाले हरे रंग के लड़के पर इस लोक और उस लोक दोनों जगह इनामों की बरसात होती है।
और ये ईनाम हरे रंग के लड़को के मनोबल चार गुना बड़ा देते है।
उसका डर थोड़ा और बढ़ गया था।
डर के बढ़ने की वजह भी थी। कसबे में रहने वाली 5-6 हिन्दू लड़की के साथ पहले ही मुस्लिम लड़के नीच हरकत कर चुके थे।
उन्होंने उन कई नारंगी देहों की दुर्दशा उजागर की थी जिन पर प्यार के नाम पर हरा रंग छिड़का गया था।
यूँ कहे तो वो ‘लव जिहाद’ की मुहीम से नारंगी देहों का शोषण हुआ था।
उसकी टीनएज लड़की जब तक स्कूल या बाजार से वापस नहीं आ जाती उसका दिल धड़कता रहता।
बुरे – बुरे ख्याल उसे परेशान करते रहते थे।
पिता होकर भी वो अपनी लड़की को चोर निगाहों से देखता।
किसी बदनीयती से नहीं।
बल्कि इसलिए कि किसी ने उसकी लड़की पे बदनीयती का हरा रंग तो नहीं छिड़क दिया।
कभी – कभी उसकी लड़की मोबाईल पर किसी से हँस कर करती तो उसका डर कलेजे में धड़क उठता।
कहीं मोबाईल पे दूसरी और कोई हरे रंग वाला लड़का तो नहीं।
लव जिहाद के फ़िराक में।
अचानक उसे पता चला कि लड़की किसी एक मुस्लिम लड़के से हँस कर बोलती – बतियाती है।
चुपके से उसने लड़की का मोबाईल चैक किया।
प्रेम के मेसेज के आदान – प्रदान के साथ एक ही नंबर पर ढेर फोन काल थे।
लड़के का नाम अफ़रोज़ था। मतलब हरे रंग वाला।
उसका डर बढ़ कर अब हद के करीब पहुँच गया।
लड़की के कॉलेज जाने पर रोक लगा दी गयी , लेकिन एक दिन लड़की मौका पा कर अफरोज के साथ घर से लापता हो गयी।
बाप तो उससे हर रिश्ता तोड़ चुका था , मन मे ठान चुका था कि अब लड़की को कभी अपनी देहलीज पर पैर नही रखने देगा।
अफरोज के परिवार का भी विरोध न कर सका क्योकि कस्बे में हरे रंग का आबादी बहुत ज्यादा थी और हिन्दू उनसे डरते थे।
उसका गाव के अब्दुल के साथ उठना – बैठने था सो अब्दुल उसे अबे – तबे से ज्यादा नहीं बोलता था।
पूरा पर्दा सरकने के बाद अब्दुल ने अपने दाये हाथ की तर्जनी से अपनी दाढ़ी खुजाई, फिर अचानक हो हो करके हंस पड़ा।
वो हँस रहा था और विजय(लड़की का बाप)उसे यूँ हँसता देख खुद को अहमक समझ रहा था।
अब्दुल को वो अहमक समझे ऐसा हक़ भी उसे हांसिल नहीं था।
वो गेरुए रंग का जो था। गेरुया रंग कसबे में अल्पसंख्यक जो था।
अचानक अपनी हँसी रोक कर अब्दुल ने एक चपत विजय के जांघ पर मारी और फिर बोला ‘ये क्या मनघड़ंत बवाल पाल रखा है मिया तुमने अपने दिल में।
ये लव सव जिहाद कुछ नहीं होता है। अरे तुम्हारी लड़की को प्यार – स्यार हुआ है, उस लड़के से।
इसलिये वो निकाह करके सलमा बन गयी और बहुत खुश है।
लेकिन कुछ दिनों के बाद ही अफरोज दूसरी बेगम ले आया और सलमा बनी हिन्दू लड़की ने जब विरोध किया , पुलिस के पास जाने की धमकी दी तो उसे ऐसिड डाल कर जला डाला...
लड़की कुछ दिन हॉस्पिटल में तड़पती रही वो आखिर में कुछ दिनों के बाद अपना दम तोड़ दिया...
ये ही सच्चाई लव जिहाद का शिकार होने वाली हर हिन्दू लड़की की।
लेकिन सच्चाई जानते हुए भी रोज हजारो लड़कियां हरे रंग वाले लड़के का शिकार हो रही है।
और ये कहानी नही बल्कि एक सच्ची घटना है.....
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