बुधवार, 24 मई 2017

Hoga vahi Jo chahenge RAM मैं ना होता तो क्या होता पर हनुमान जी कहते है

हम सोचते है ।  
       मैं ना होता तो क्या होता ?
       पर हनुमान जी कहते है ।

हनुमानजी ने प्रभु श्रीराम से कहा था -
प्रभो, यदि मैं लंका न जाता, तो मेरे जीवन में बड़ी कमी रह जाती।
विभीषण का घर जब तक मैंने नही देखा था, तब तक मुझे लगता था, कि लंका में भला सन्त कहाँ मिलेंगे -
"लंका निसिचर निकर निवासा.
इहाँ कहाँ सज्जन कर बासा".....
"प्रभो, मैं तो समझता था कि सन्त तो भारत में ही होते हैं. लेकिन जब मैं लंका में सीताजी को ढूंढ नहीं सका और विभीषण से भेंट होने पर उन्होंने उपाय बता दिया, तो मैंने सोचा कि अरे, जिन्हें मैं प्रयत्न करके नहीं ढूँढ सका, उन्हें तो इन लंका वाले सन्त ने ही बता दिया. शायद प्रभु ने यही दिखाने के लिए भेजा था कि इस दृश्य को भी देख लो।
और प्रभो, अशोक वाटिका में जिस समय रावण आया और रावण क्रोध में भरकर तलवार लेकर माँ को मारने के लिए दौड़ा, तब मुझे लगा कि अब मुझे कूदकर इसकी तलवार छीन कर इसका ही सिर काट लेना चाहिए, किन्तु अगले ही क्षण मैंने देखा कि मन्दोदरी ने रावण का हाथ पकड़ लिया। यह देखकर मैं गदगद् हो गया।
ओह, प्रभो, आपने कैसी शिक्षा दी ! यदि मैं कूद पड़ता, तो मुझे भ्रम हो जाता कि यदि मैं न होता तो क्या होता ?  बहुधा व्यक्ति को ऐसा ही भ्रम हो जाता है। मुझे भी लगता  कि, यदि मैं न होता, तो सीताजी को कौन बचाता ?
पर आप कितने बड़े कौतुकी हैं ? आपने उन्हें बचाया ही नहीं , बल्कि बचाने का काम रावण की उस पत्नी को ही सौंप दिया, जिसको प्रसन्नता होनी चाहिए कि सीता मरे, तो मेरा भय दूर हो। तो मैं समझ गया कि आप जिससे जो कार्य लेना चाहते हैं, वह उसी से लेते हैं। किसी का कोई महत्व नहीं है।
आगे चलकर जब त्रिजटा ने कहा कि लंका में बन्दर आया हुआ है, तो मैं समझ गया कि यहाँ तो बड़े सन्त हैं।
मैं आया और यहाँ के सन्त ने देख लिया। पर जब उसने कहा कि वह बन्दर लंका जलायेगा, तो मैं बड़ी चिन्ता में पड़ गया कि प्रभु ने तो लंका जलाने के लिए कहा नहीं और त्रिजटा कह रही है, तो मैं क्या करूँ ? पर प्रभु, बाद में तो मुझे सब अनुभव हो गया।
" रावण की सभा में इसलिए बँधकर रह गया कि करके तो मैंने देख लिया, अब जरा बँधके देखूं , कि क्या होता है। जब रावण के सैनिक तलवार लेकर मुझे मारने के लिए चले तो मैंने अपने को बचाने की तनिक भी चेष्टा नहीं की, पर जब विभीषण ने आकर कहा - दूत को मारना अनीति है, तो मैं समझ गया कि देखो, मुझे बचाना है, तो प्रभु ने यह उपाय कर दिया।
सीताजी को बचाना है, तो रावण की पत्नी मन्दोदरी को लगा दिया. मुझे बचाना था, तो रावण के भाई को भेज दिया।
प्रभो, आश्चर्य की पराकाष्ठा तो तब हुई, जब रावण ने कहा कि बन्दर को मारा तो नहीं जायेगा, पर पूँछ में कपड़ा-तेल लपेट कर घी डालकर आग लगाई जाय, तो मैं गदगद् हो गया कि उस लंका वाली सन्त त्रिजटा की ही बात सच थी। लंका को जलाने के लिए मैं कहाँ से घी, तेल, कपड़ा लाता, कहाँ आग ढूँढता ! वह प्रबन्ध भी आपने रावण से करा लिया।
जब आप रावण से भी अपना काम करा लेते हैं, तो मुझसे करा लेने में आश्चर्य की क्या बात है !

*इसलिए यह याद रखें, कि संसार में जो कुछ भी हो रहा है, वह सब इश्वरीय बिधान है*।

*हम आप सब तो केवल निमित्त मात्र हैं*।
🙏🏻जय सियाराम🙏🏻

सोमवार, 22 मई 2017

Love jihad special har Hindu ladki gaur she padhe

वो कस्बे में डर डर के रहता था।

हालाँकि वो डरपोक नहीं था पर फिर भी डर–डर के रहना उसकी आदत हो गई थी।

 उसके डर की वजह भी थी। कोई आम नहीं बल्कि खास थी।

 उस कसबे की तीन – चौथाई आबादी हरे रंग की(मुस्लिम)थी।

जबकि वो हिन्दू था।

 उसकी एक लड़की थी। टीनएज  की।यही वजह थी कि वो कसबे में डरा – सहमा रहता था।

 उसने इतिहास पढ़ा था।

 दुनिया देखी थी।

 वो जानता था हरे रंग के रीत – रिवाज़ों में हिन्दू लड़की से जिस्मानी सम्बन्ध की बड़ी मान्यता है।

हिन्दू लड़की के कौमार्य को हासिल करने वाले हरे रंग के लड़के पर इस लोक और उस लोक दोनों जगह इनामों की बरसात होती है।

और ये ईनाम हरे रंग के लड़को के मनोबल चार गुना बड़ा देते है।

उसका डर थोड़ा और बढ़ गया था।

 डर के बढ़ने की वजह भी थी। कसबे में रहने वाली 5-6 हिन्दू लड़की के साथ पहले ही मुस्लिम लड़के नीच हरकत कर चुके थे।

 उन्होंने उन कई नारंगी देहों की दुर्दशा उजागर की थी जिन पर प्यार के नाम पर हरा रंग छिड़का गया था।

 यूँ कहे तो वो ‘लव जिहाद’ की मुहीम से नारंगी देहों का शोषण हुआ था।

उसकी टीनएज लड़की जब तक स्कूल या बाजार से वापस नहीं आ जाती उसका दिल धड़कता रहता।

बुरे – बुरे ख्याल उसे परेशान करते रहते थे।

 पिता होकर भी वो अपनी लड़की को चोर निगाहों से देखता।

किसी बदनीयती से नहीं।

बल्कि इसलिए कि किसी ने उसकी लड़की पे बदनीयती का हरा रंग तो नहीं छिड़क दिया।

कभी – कभी उसकी लड़की मोबाईल पर किसी से हँस कर करती तो उसका डर कलेजे में धड़क उठता।

कहीं मोबाईल पे दूसरी और कोई हरे रंग वाला लड़का तो नहीं।

लव जिहाद के फ़िराक में।

अचानक उसे पता चला कि लड़की किसी एक मुस्लिम लड़के से हँस कर बोलती – बतियाती है।

चुपके से उसने लड़की का मोबाईल चैक किया।

प्रेम के मेसेज के आदान – प्रदान के साथ एक ही नंबर पर ढेर फोन काल थे।

लड़के का नाम अफ़रोज़ था। मतलब हरे रंग वाला।

उसका डर बढ़ कर अब हद के करीब पहुँच गया।

लड़की के कॉलेज जाने पर रोक लगा दी गयी , लेकिन एक दिन लड़की मौका पा कर अफरोज के साथ घर से लापता हो गयी।

बाप तो उससे हर रिश्ता तोड़ चुका था , मन मे ठान चुका था कि अब लड़की को कभी अपनी देहलीज पर पैर नही रखने देगा।

अफरोज के परिवार का भी विरोध न कर सका क्योकि कस्बे में हरे रंग का आबादी बहुत ज्यादा थी और हिन्दू उनसे डरते थे।

 उसका गाव के  अब्दुल के साथ उठना – बैठने था सो अब्दुल उसे अबे – तबे से ज्यादा नहीं बोलता था।

पूरा पर्दा सरकने के बाद अब्दुल ने अपने दाये हाथ की तर्जनी से अपनी दाढ़ी खुजाई, फिर अचानक हो हो करके हंस पड़ा।

 वो हँस रहा था और विजय(लड़की का बाप)उसे यूँ हँसता देख खुद को अहमक समझ रहा था।

 अब्दुल को वो अहमक समझे ऐसा हक़ भी उसे हांसिल नहीं था।

वो गेरुए रंग का जो था। गेरुया रंग कसबे में अल्पसंख्यक जो था।

अचानक अपनी हँसी रोक कर अब्दुल ने एक चपत विजय के जांघ पर मारी और फिर बोला ‘ये क्या मनघड़ंत बवाल पाल रखा है मिया तुमने अपने दिल में।

ये लव सव जिहाद कुछ नहीं होता है। अरे तुम्हारी लड़की को प्यार – स्यार हुआ है, उस लड़के से।

इसलिये वो निकाह करके सलमा बन गयी और बहुत खुश है।

लेकिन कुछ दिनों के बाद ही अफरोज दूसरी बेगम ले आया और सलमा बनी हिन्दू लड़की ने जब विरोध किया , पुलिस के पास जाने की धमकी दी तो उसे ऐसिड डाल कर जला डाला...

लड़की कुछ दिन हॉस्पिटल में तड़पती रही वो आखिर में कुछ दिनों के बाद अपना दम तोड़ दिया...

ये ही सच्चाई लव जिहाद का शिकार होने वाली हर हिन्दू लड़की की।

लेकिन सच्चाई जानते हुए भी रोज हजारो लड़कियां हरे रंग वाले लड़के का शिकार हो रही है।

और ये कहानी नही बल्कि एक सच्ची घटना है.....

बुधवार, 10 मई 2017

Kaliyug ka arth

युधिष्ठर को था आभास कलुयुग में क्या होगा ?

पाण्डवों का अज्ञातवाश समाप्त होने में कुछ समय शेष रह गया था।

पाँचो पाण्डव एवं द्रोपदी जंगल मे छूपने का स्थान ढूंढ रहे थे,

उधर शनिदेव की आकाश मंडल से पाण्डवों पर नजर पड़ी शनिदेव के मन में विचार आया कि इन सब में बुद्धिमान कौन है परिक्षा ली जाय।

शनिदेव ने एक माया का महल बनाया कई योजन दूरी में उस महल के चार कोने थे, पूरब, पश्चिम, उतर, दक्षिण।

अचानक भीम की नजर महल पर पड़ी
और वो आकर्षित हो गया ,

भीम, यधिष्ठिर से बोला- भैया मुझे महल देखना है भाई ने कहा जाओ ।

भीम महल के द्वार पर पहुंचा वहाँ शनिदेव दरबान के रूप में खड़े थे,

भीम बोला- मुझे महल देखना है!

शनिदेव ने कहा- महल की कुछ शर्त है ।

1- शर्त महल में चार कोने हैं आप एक ही कोना देख सकते हैं।
2-शर्त महल में जो देखोगे उसकी सार सहित व्याख्या करोगे।
3-शर्त अगर व्याख्या नहीं कर सके तो कैद कर लिए जाओगे।

भीम ने कहा- मैं स्वीकार करता हूँ ऐसा ही होगा ।

और वह महल के पूर्व छोर की ओर गया ।

वहां जाकर उसने अद्भूत पशु पक्षी और फूलों एवं फलों से लदे वृक्षों का नजारा देखा,

आगे जाकर देखता है कि तीन कुंए है अगल-बगल में छोटे कुंए और बीच में एक बडा कुआ।

बीच वाला बड़े कुंए में पानी का उफान आता है और दोनों छोटे खाली कुओं को पानी से भर देता है। फिर कुछ देर बाद दोनों छोटे कुओं में उफान आता है तो खाली पड़े बड़े कुंए का पानी आधा रह जाता है इस क्रिया को भीम कई बार देखता है पर समझ नहीं पाता और लौटकर दरबान के पास आता है।

दरबान - क्या देखा आपने ?

भीम- महाशय मैंने पेड़ पौधे पशु पक्षी देखा वो मैंने पहले कभी नहीं देखा था जो अजीब थे। एक बात समझ में नहीं आई छोटे कुंए पानी से भर जाते हैं बड़ा क्यों नहीं भर पाता ये समझ में नहीं आया।

दरबान बोला आप शर्त के अनुसार बंदी हो गये हैं और बंदी घर में बैठा दिया।

अर्जुन आया बोला- मुझे महल देखना है, दरबान ने शर्त बता दी और अर्जुन पश्चिम वाले छोर की तरफ चला गया।

आगे जाकर अर्जुन क्या देखता है। एक खेत में दो फसल उग रही थी एक तरफ बाजरे की फसल दूसरी तरफ मक्का की फसल ।

बाजरे के पौधे से मक्का निकल रही तथा
मक्का के पौधे से बाजरी निकल रही । अजीब लगा कुछ समझ नहीं आया वापिस द्वार पर आ गया।

दरबान ने पुछा क्या देखा,

अर्जुन बोला महाशय सब कुछ देखा पर बाजरा और मक्का की बात समझ में नहीं आई।

शनिदेव ने कहा शर्त के अनुसार आप बंदी हैं ।

नकुल आया बोला मुझे महल देखना है ।

फिर वह उत्तर दिशा की और गया वहाँ उसने देखा कि बहुत सारी सफेद गायें जब उनको भूख लगती है तो अपनी छोटी बछियों का दूध पीती है उसे कुछ समझ नहीं आया द्वार पर आया ।

शनिदेव ने पुछा क्या देखा ?

नकुल बोला महाशय गाय बछियों का दूध पीती है यह समझ नहीं आया तब उसे भी बंदी बना लिया।

सहदेव आया बोला मुझे महल देखना है और वह दक्षिण दिशा की और गया अंतिम कोना देखने के लिए क्या देखता है वहां पर एक सोने की बड़ी शिला एक चांदी के सिक्के पर टिकी हुई डगमग डोले पर गिरे नहीं छूने पर भी वैसे ही रहती है समझ नहीं आया वह वापिस द्वार पर आ गया और बोला सोने की शिला की बात समझ में नहीं आई तब वह भी बंदी हो गया।

चारों भाई बहुत देर से नहीं आये तब युधिष्ठिर को चिंता हुई वह भी द्रोपदी सहित महल में गये।

भाइयों के लिए पूछा तब दरबान ने बताया वो शर्त अनुसार बंदी है।

युधिष्ठिर बोला भीम तुमने क्या देखा ?

भीम ने कुंऐ के बारे में बताया

तब युधिष्ठिर ने कहा- यह कलियुग में होने वाला है एक बाप दो बेटों का पेट तो भर देगा परन्तु दो बेटे मिलकर एक बाप का पेट नहीं भर पायेंगे।

भीम को छोड़ दिया।

अर्जुन से पुछा तुमने क्या देखा ??

उसने फसल के बारे में बताया

युधिष्ठिर ने कहा- यह भी कलियुग में होने वाला है वंश परिवर्तन अर्थात ब्राह्मण के घर शूद्र की लड़की और शूद्र के घर बनिए की लड़की ब्याही जायेंगी।

अर्जुन भी छूट गया।

नकुल से पूछा तुमने क्या देखा तब उसने गाय का वृतान्त बताया ।

तब युधिष्ठिर ने कहा- कलियुग में माताऐं अपनी बेटियों के घर में पलेंगी बेटी का दाना खायेंगी और बेटे सेवा नहीं करेंगे ।

तब नकुल भी छूट गया।

सहदेव से पूछा तुमने क्या देखा, उसने सोने की शिला का वृतांत बताया,

तब युधिष्ठिर बोले- कलियुग में पाप धर्म को दबाता रहेगा परन्तु धर्म फिर भी जिंदा रहेगा खत्म नहीं होगा।।  आज के कलयुग में यह सारी बातें सच साबित हो रही है ।।

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