शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

Jaha bhi ram katah hota hai HANUMAN ji ake sunte hai

एक समय की बात है अयोध्या के पहुंचे हुए संत श्री रामायण कथा सुना रहे थे। रोज एक घंटा प्रवचन करते कितने ही लोग आते और आनंद विभोर होकर जाते।

साधु महाराज का नियम था रोज कथा शुरू
करने से पहले "आइए हनुमंत जी बिराजिए"कहकर हनुमानजी का आहवान करते थे, फिर एक घण्टा प्रवचन करते थे। एक वकील साहब हर रोज कथा सुनने आते। वकील साहब के भक्तिभाव पर एकदिन
तर्कशीलता हावी हो गई उन्हें लगा कि महाराज
रोज "आइए हनुमंत बिराजिए" कहते है तो क्या
हनुमानजी सचमुच आते होंगे !

अत: वकील ने महात्माजी से एक दिन पूछ ही
डाला- महाराजजी आप रामायण की कथा
बहुत अच्छी कहते है हमें बड़ा रस आता है
परंतु आप जो गद्दी प्रतिदिन हनुमानजी को देते
है उसपर क्या हनुमानजी सचमुच बिराजते है ?
साधु महाराज ने कहा… हाँ यह मेरा व्यक्तिगत
विश्वास है कि रामकथा हो रही हो तो
हनुमानजी अवश्य पधारते है वकील ने कहा…
महाराज ऐसे बात नहीं बनगी। हनुमानजी यहां
आते है इसका कोई सबूत दीजिए

वकील ने कहा… आप लोगों को प्रवचन सूना
रहे है सो तो अच्छा है लेकिन अपने पास
हनुमानजी को उपस्थिति बताकर आप
अनुचित तरीके से लोगों को प्रभावित कर रहे
है आपको साबित करके दिखाना चाहिए कि
हनुमानजी आपकी कथा सुनने आते है
महाराजजी ने बहुत समझाया कि भैया आस्था
को किसी सबूत की कसौटी पर नहीं कसना
चाहिए यह तो भक्त और भगवान के बीच का
प्रेमरस है व्यक्तिगत श्रद्घा का विषय है आप
कहो तो मैं प्रवचन बंद कर दूँ या आप कथा में
आना छोड़ दो

लेकिन वकील नहीं माना, कहता ही रहा कि
आप कई दिनो से दावा करते आ रहे है यह
बात और स्थानों पर भी कहते होगे इसलिए
महाराज आपको तो साबित करना होगा कि
हनुमानजी कथा सुनने आते है !

इस तरह दोनों के बीच वाद-विवाद होता रहा
मौखिक संघर्ष बढ़ता चला गया हारकर साधु
ने कहा… हनुमानजी है या नहीं उसका सबूत
कल दिलाऊंगा। कल कथा शुरू हो तब प्रयोग
करूंगा।

जिस गद्दी पर मैं हनुमानजी को विराजित होने
को कहता हूं आप उस गद्दी को अपने घर ले
जाना कल अपने साथ उस गद्दी को लेकर
आना फिर मैं कल गद्दी यहाँ रखूंगा

मैं कथा से पहले हनुमानजी को बुलाऊंगा फिर
आप गद्दी ऊँची करना, यदि आपने गद्दी ऊँची
कर ली तो समझना कि हनुमान जी नहीं है
वकील इस कसौटी के लिए तैयार हो गया
महाराज ने कहा… हम दोनों में से जो पराजित
होगा वह क्या करेगा, इसका निर्णय भी कर लें ?
यह तो सत्य की परीक्षा है वकील ने कहा-मैं
गद्दी ऊँची न कर सका तो वकालत छोड़कर
आपसे दीक्षा लूंगा। आप पराजित हो गए तो
क्या करोगे?

साधु ने कहा… मैं कथावाचन छोड़कर आपके
ऑफिस का चपरासी बन जाऊंगा। अगले दिन
कथापंडाल में भारी भीड़ हुई जो लोग कथा
सुनने रोज नही आते थे वे भी भक्ति, प्रेम और
विश्वास की परीक्षा देखने आए।

काफी भीड़ हो गई। पंडाल भर गया, श्रद्घा और
विश्वास का प्रश्न जो था। साधु महाराज और
वकील साहब कथा पंडाल में प्यारे गद्दी रखी
गई। महात्माजी ने सजल नेत्रों से मंगलाचरण
किया और फिर बोले… आइए हनुमानजी
पधारिए

ऐसा बोलते ही साधुजी की आंखे सजल हो
उठी। मन ही मन साधु बोले… प्रभु! आज मेरा
प्रश्न नहीं बल्कि रघुकुल रीति की पंरपरा का
सवाल है मैं तो एक साधारण जन हूं। मेरी
भक्ति और आस्था की लाज रखना।

फिर वकील साहब को निमंत्रण दिया… आइए
गद्दी ऊँची कीजिए। लोगों की आँखे जम गई।
वकील साहब खड़ेे हुये। उन्होंने गद्दी लेने के
लिए हाथ बढ़ाया पर गद्दी को स्पर्श भी न कर
सके !

जो भी कारण हो उन्होंने तीन बार हाथ बढ़ाया
किन्तु तीनों बार असफल रहे। महात्माजी देख
रहे थे गद्दी को पकड़ना तो दूर वो गद्दी की छू
भी न सके तीनों बार वकील साहब पसीने से
तर-बतर हो गए।

वह वकील साधु के चरणों में गिर पड़े और
बोले… महाराजा उठाने का मुझे मालूम नहीं पर
मेरा हाथ गद्दी तक भी पहुंच नहीं सकता, अत: मैं
अपनी हार स्वीकार करता हूं।

कहते है कि श्रद्घा और भक्ति के साथ की गई
आराधना में बहुत शक्ति होती है मानों तो देव
नहीं तो पत्थर। प्रभु की मूर्ति तो पाषाण की ही
होती है लेकिन भक्त के भाव से उसमें प्राण
प्रतिष्ठा होती है और प्रभु बिराजते है
तुलसीदासजी कहते है- साधु चरित सुभ चरित
कषासू निरस बिसद गुनमय फल जासू

साधु का स्वभाव कपास जैसा होना चाहिए जो
दूसरों के अवगुण को ढककर ज्ञान को अलख
जगाए। जो ऐसा भाव प्राप्त कर ले वही साधु है।

शनिवार, 12 सितंबर 2015

Ram nam ki mahima kalyug me ram nam hi mukti ka adhar hai

शनिदेव की पूजा में तिल और तेल क्यों?
( संकलित )

काला तिल, तेल, काला वस्त्र, काली उड़द शनि देव को अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि काला तिल और तेल से शनिदेव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं. यदि शनिदेव की पूजा इन वस्तुओं से की जाए तो ऐसी पूजा सफल मानी जाती है.

शनि देव महाराज पर तेल चढाया जाता हैं,

इस संबंध में आनंद रामायण में एक कथा का उल्लेख मिलता हैं।

जब भगवान राम की सेना ने सागर सेतु बांध लिया, तब राक्षस इसे हानि न पहुंचा सकें, उसके लिए पवन सुत हनुमान को उसकी देखभाल की जिम्मेदारी सौपी गई।
जब हनुमान जी शाम के समय अपने इष्टदेव भगवान राम के ध्यान में मग्न थे, तभी सूर्य पुत्र शनि ने अपना काला कुरूप चेहरा बनाकर क्रोधपूर्ण कहा- हे वानर मैं देवताओ में शक्तिशाली शनि हूँ। सुना हैं, तुम बहुत बलशाली हो। आँखें खोलो और मेरे साथ युद्ध करो, मैं तुमसे युद्ध करना चाहता हूँ।

इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा- इस समय मैं अपने प्रभु को याद कर रहा हूं। आप मेरी पूजा में विघन मत डालिए। आप मेरे आदरणीय है। कृपा करके आप यहा से चले जाइए।

लेकिन,जब शनि देव लड़ने पर उतर आए, तो हनुमान जी ने अपनी पूंछ में लपेटना शुरू कर दिया। फिर उन्हे कसना प्रारंभ कर दिया जोर लगाने पर भी शनि उस बंधन से मुक्त न होकर पीड़ा से व्याकुल होने लगे। हनुमान ने फिर सेतु की परिक्रमा कर शनि के घमंड को तोड़ने के लिए पत्थरो पर पूंछ को झटका दे-दे कर पटकना शुरू कर दिया। इससे शनि का शरीर लहुलुहान हो गया, जिससे उनकी पीड़ा बढ़ती गई।

तब शनि देव ने हनुमान जी से प्रार्थना की - मुझे बधंन मुक्त कर दीजिए। मैं अपने अपराध की सजा पा चुका हूँ, फिर मुझसे ऐसी गलती नही होगी।

इस पर हनुमान जी बोले - मैं तुम्हे तभी छोडूंगा, जब तुम मुझे वचन दोगे कि श्री राम के भक्त को कभी परेशान नही करोगे। यदि तुमने ऐसा किया, तो मैं तुम्हें कठोर दंड दूंगा।
शनि ने गिड़गिड़ाकर कहा - मैं वचन देता हूं कि कभी भूलकर भी आपके और श्री राम के भक्त की राशि पर नही आऊँगा। आप मुझे छोड़ दें।

तभी हनुमान जी ने शनिदेव को छोड़ दिया। फिर हनुमान जी से शनिदेव ने अपने घावों की पीड़ा मिटाने के लिए तेल मांगा। हनुमान जी ने जो तेल दिया, उसे घाव पर लगाते ही शनि देव की पीड़ा मिट गई।

उसी दिन से शनिदेव को तेल चढ़ाया जाता हैं, जिससे उनकी पीडा शांत हो जाती हैं और वे प्रसन्न हो जाते हैं।

लेकिन एक मंदिर ऐसा हैं जहां कलियुग में शनि को तेल चढ़ाने की मनाही की गई है।
मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में एक मंदिर है। इस मंदिर में कई देवी-देवताओं के साथ महाभारत और रामयाण काल के असुरों की भी मूर्तियां है।

इस मंदिर में एक बोर्ड पर शनि महाराज का संदेश लिखा हुआ है 'हे कलियुग वासियो तुम मुझ पर तेल चढ़ाना छोड़ दो तो मैं तुम्हारा पीछा छोड़ दूंगा'

यानी कलियुग में जब तक शनि महाराज को तेल अर्पित करते रहेंगे तब तक शनि महाराज आपको सताना छोड़ेंगे नहीं। यहां शनि के प्रभाव से बचने का एक बहुत ही आसान तरीका बताया गया है।

इस मंदिर के नियम के अनुसार श्रद्घालु को इस शर्त पर मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी जाती है कि आप १०८ बार राम नाम लिखेंगे।

नेता हों या आम जनता। जो भी इस मंदिर में प्रवेश करता है उसे इस नियम का पालन करना होता है। बिना राम नाम लिखे कोई भी मंदिर से बाहर नहीं आ सकता।

मंदिर में शनि के संदेश में लिखा है कि १०८ बार राम नाम लिखना शुरू कर दो तो मैं तुमको सारी विपत्तियों से मुक्त कर दूंगा।'

तुलसीदास जी ने भी लिखा है 'कलियुग केवल नाम अधारा सुमिरि सुमिरि नर उतरहिं पारा'। यानी कलियुग में राम नाम ही केवल मुक्ति का आधार है।

बुधवार, 9 सितंबर 2015

Ahnkar ki katha

श्रीकृष्ण भगवान द्वारका में रानी
सत्यभामा के
साथ सिंहासन पर विराजमान थे, निकट
ही गरुड़ और
सुदर्शन चक्र भी बैठे हुए थे। तीनों के चेहरे पर
दिव्य
तेज
झलक रहा था।
बातों ही बातों में रानी सत्यभामा ने
श्रीकृष्ण से
पूछा कि हे प्रभु, आपने त्रेता युग में राम के रूप
में
अवतार
लिया था, सीता आपकी पत्नी थीं।
क्या वे मुझसे
भी ज्यादा सुंदर थीं? द्वारकाधीश समझ
गए
कि सत्यभामा को अपने रूप का अभिमान
हो गया है।
तभी गरुड़ ने कहा कि भगवान क्या दुनिया
में मुझसे
भी ज्यादा तेज गति से कोई उड़ सकता है।
इधर
सुदर्शन
चक्र से भी रहा नहीं गया और वह भी कह उठे
कि भगवान, मैंने बड़े-बड़े युद्धों में
आपको विजयश्री दिलवाई है। क्या
संसार में मुझसे
भी शक्तिशाली कोई है?
भगवान मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। वे जान रहे थे
कि उनके इन
तीनों भक्तों को अहंकार हो गया है और
इनका अहंकार नष्ट होने का समय आ गया है।
ऐसा सोचकर उन्होंने गरुड़ से कहा कि हे
गरुड़! तुम
हनुमान के पास जाओ और कहना कि भगवान
राम,
माता सीता के साथ उनकी प्रतीक्षा कर
रहे हैं। गरुड़
भगवान की आज्ञा लेकर हनुमान को लाने
चले गए।
इधर श्रीकृष्ण ने सत्यभामा से कहा कि
देवी आप
सीता के रूप में तैयार हो जाएं और स्वयं
द्वारकाधीश
ने राम का रूप धारण कर लिया। मधुसूदन ने
सुदर्शन
चक्र
को आज्ञा देते हुए कहा कि तुम महल के प्रवेश
द्वार
पर
पहरा दो। और ध्यान रहे कि मेरी आज्ञा के
बिना महल में कोई प्रवेश न करे।
भगवान की आज्ञा पाकर चक्र महल के प्रवेश
द्वार
पर
तैनात हो गए। गरुड़ ने हनुमान के पास पहुंच कर
कहा कि हे वानरश्रेष्ठ! भगवान राम माता
सीता के
साथ द्वारका में आपसे मिलने के लिए
प्रतीक्षा कर
रहे हैं। आप मेरे साथ चलें। मैं आपको अपनी
पीठ पर
बैठाकर शीघ्र ही वहां ले जाऊंगा। हनुमान
ने
विनयपूर्वक गरुड़ से कहा, आप चलिए, मैं आता
हूं।
गरुड़ ने
सोचा, पता नहीं यह बूढ़ा वानर कब
पहुंचेगा। खैर मैं
भगवान के पास चलता हूं। यह सोचकर गरुड़
शीघ्रता से
द्वारका की ओर उड़े। पर यह क्या, महल में
पहुंचकर
गरुड़
देखते हैं कि हनुमान तो उनसे पहले ही महल में
प्रभु
के
सामने बैठे हैं। गरुड़ का सिर लज्जा से झुक
गया।
तभी श्रीराम ने हनुमान से कहा कि पवन
पुत्र तुम
बिना आज्ञा के महल में कैसे प्रवेश कर गए?
क्या तुम्हें
किसी ने प्रवेश द्वार पर रोका नहीं?
हनुमान ने हाथ
जोड़ते हुए सिर झुका कर अपने मुंह से सुदर्शन
चक्र
को निकाल कर प्रभु के सामने रख दिया।
हनुमान ने
कहा कि प्रभु आपसे मिलने से मुझे इस चक्र ने
रोका था, इसलिए इसे मुंह में रख मैं आपसे
मिलने आ
गया। मुझे क्षमा करें। भगवान मंद-मंद
मुस्कुराने लगे।
हनुमान ने हाथ जोड़ते हुए श्रीराम से प्रश्न
किया हे
प्रभु! आज आपने माता सीता के स्थान पर
किस
 को इतना सम्मान दे दिया कि वह
आपके साथ
सिंहासन पर विराजमान है।
अब रानी सत्यभामा के अहंकार भंग होने
की बारी थी। उन्हें सुंदरता का अहंकार
था,
जो पलभर में चूर हो गया था। रानी
सत्यभामा,
सुदर्शन चक्र व गरुड़ तीनों का गर्व चूर-चूर
हो गया था।
वे भगवान की लीला समझ रहे थे। तीनों
की आंख से
आंसू बहने लगे और वे भगवान के चरणों में झुक
गए।
अद्भुत
लीला है प्रभु की।
हे परम इस्नेही मित्रो ..जब इन तीनो का
अहंकार चूर चूर हो गया तो इन तीनो के
सामने हम अपने आपको किस जगह पाते है
...?
विचार करना ... जय श्री राधे..जय श्री
कृष्ण ...

सोमवार, 7 सितंबर 2015

Sant shri asharam ji bapu kya aisa kar sakte hai pls padhe aur comment karke bataye

🚩क्या आप जानते हैं,
कि जिन महापुरुष
( संत श्री आशारामजी बापू ) पर
आजतक कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ,
🚩जानिए, आखिर कौन हैं
" संत श्री आशारामजी बापू "
💥1). लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को
पुनः हिंदू बनाने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥2).कत्लखाने में जाती हुई
हमारी पूज्यनीय गौमताओं
को बचाकर, उनके लिए सैकड़ों
गौशालाएं खोलनेवाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥3). ईसाई मिशनरिओं को खुली
चुनौती देनेवाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥4). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में
स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद
जाके देश का नेतृत्व करते हुए भारत देश
और हिन्दूत्व का परचम लहराने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥5). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को
बचाकर आयुर्वेद का अनुसरण
करने और सिखाने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥6). "ऋषि प्रसाद" भारत की सबसे ज्यादा
बिकनेवाली मासिक पत्रिका, जिसमे
सनातन धर्म का ज्ञान समाया है,
ऐसी पावन पत्रिका को छपवाने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥7). लाखों करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत
मंत्र की दीक्षा देकर, उन्हें तेजस्वी बनाने
वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥8). लाखों करोड़ों लोगों को अधर्म से
धर्म की ओर ले जाने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥9). 100 से ज्यादा देशों मे आश्रमों
को स्थापित कर हिंदुत्व का
विस्तार करने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥10). वेलेंटाइन डे का विरोध करके
"मातृ-पितृ पूजन दिवस"
का प्रारम्भ करने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥11). क्रिसमस डे के दिन क्रिसमस ट्री
के बजाय, तुलसी पूजन दिवस
मनाने का संदेश देनेवाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥12). पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका
और बहुत सारे देशों में जाकर
सनातन हिंदू धर्म का ध्वज
फहरानेवाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥13). बिकाऊ मीडिया को रुपयों के
पैकेज ना देकर, गरीबों में भंडारा
करने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥14). गरीब इलाकों में
चलचिकित्सालय चलवाकर
निःशुल्क दवाईयाँ उपलब्ध
करवाने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥15). लाखों लोगों को बुरे व्यसनों से
मुक्त कराने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥16). युवाओं का सच्चा विकास करने
हेतु, युवा सेवा संघ खोलकर
उन्हें संयमी, साहसी व उद्धयमी
बनाने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥17). महिलाओं का सर्वांगीण विकास
करने के लिए, महिला उत्थान
मंडल खोलने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥18). वैदिक शिक्षा पर आधारित
अनेकों गुरुकुल खोलने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥19). अपने सत्संगों में, सनातन हिंदू
धर्म की महिमा बताने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥20). पिछले 50 वर्षों से लगातार आदिवासीयों
के बीच मुफ्त में भंडारा करनेवाले मुफ्त
में मकान, कपड़े, अनाज व दक्षिणा बाटनें
वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥21). मुश्किल हालातों में कांची कामकोठी पीठ
के "शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी" का
साथ देने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥22). मुश्किल हालातों में
स्वामी रामदेवजी, मोरारी बापूजी
एवं अन्य संतों का साथ देने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥23). मुश्किल हालातों में
*निर्दोष* "साध्वी प्रज्ञासिंघजी ठाकुर" को
जेल में मिलने जाकर, उन्हें सांत्वना देने
वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥24). मुश्किल हालातों में, पूरे देश में चल रहे
नकारात्मक प्रचार के समय भी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, का साथ देने
वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥25). "पूज्य आशारामजी बापू" जिनके सत्संग सुनने के लिये
लाखों की भीड़ उमड़ती है,
वे संत एक अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र के शिकार हुए हैं,

जिसमें मुख्य रूप से ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित
भारतीय बिकाऊ मीडिया भी शामिल है !

💥26). बिकाऊ मीडिया द्वारा दिन रात गलत
खबरें दिखाकर बदनाम करने के बावजूद,
जेल मे रहकर, जेल को भी स्वर्ग बनाने वाले संत " पूज्य आशारामजी बापू हैं "

💥27). "पूज्य आशारामजी बापू" के
विश्व में 8 करोड़ से अधिक शिष्य हैं
और इतने घोर कुप्रचार में भी वो अबतक अपने
सतगुरुदेव के प्रति श्रद्धाभाव से टिके हैं !

💥28). हम आपसे ही पूछते हैं !
सच्चे दिलसे ज़रा सोचकर देखिये,
कि 75वर्ष के वृद्ध महान ब्रह्मज्ञानी संत,
क्या गलत कार्य कर सकते हैं.. ??

💥29). जिनके श्रीचरणों में लाखों करोड़ों लोग शीश झुकाते हैं और जो हर समय साधकों से घिरे रहते हैं !

💥30). क्या वे 2000km दूर से किसी भी कन्या को उसके माता पिता के साथ बुलाकर, उसके साथ गलत कर सकते हैं.. ??

💥31). क्या 50 वर्षों से लगातार समाज सेवाएँ और ब्रह्मज्ञान का सत्संग करने वाले 75वर्षीय वृद्ध संत ऐसा कर सकते हैं.. ??

                   

स्वयं विचारें

32). यह पोस्ट इस हिंदुस्तान के निष्क्रिय सज्जनों को दिखाने हेतु बनाया गया है !
जो अपने हिंदुस्तान के महापुरुषों के साथ अन्याय होता देखकर भी, चुप हैं

33). संत श्री आशारामजी बापू निर्दोष हैं और पूज्य बापूजी को
एक सुनियोजित षड्यंत्र के चलते फसाया गया है !

अधिक जानकारी के लिए निकट के
संत श्री आशारामजी आश्रम में संपर्क करें
( हरी ॐ )

34). अगर आप एक सच्चे हिन्दुस्तानी हैं और आपको
इस बात पर गर्व है, तो अब अपनी सक्रियता दिखाएँ

यह पोस्ट हर एक हिन्दुस्तानी तक पहुचाएँ _/\_

***** हिंदुस्तान में जागरुकता लाएँ *****

क्यूंकी जनजागरण लाना है, तो पोस्ट शेयर करना है !!
💥जानिए आखिर क्या है सच्चाई । कितने आरोप लगे उसमे से कितने साबित हुवे ? आखिर क्यों बिकाऊ मीडिया बनती है जज ? देखिये वीडियो  वीडियो देखने के बाद आप खुद ही तय कर लोगे की सच क्या है ।
💻https://youtu.be/2RmhrAxoZ3U


Agar aap ne padh liya hai to comment jarur karna

रविवार, 6 सितंबर 2015

Radha Nam ki mahima

राधा नाम की महिमा

एक व्यक्ति था, एक बार एक संत उसके नगर में आये ! वह उनके दर्शन करने गया और संत से बोला - स्वामी जी ! मेरा एक बेटा है, वो न तो भगवान को मानता है, न ही पूजा-पाठ करता है, जब उससे कहो तो कहता है मै किसी संत को नहीं मानता, अब आप ही उसे समझाइये,स्वामी जी ने कहा - ठीक है, मैं तुम्हारे घर आऊँगा.

एक दिन वे उसके घर गए और उसके बेटे से बोले -बेटा एक बार कहो : राधा, बेटा बोला : मै क्यों कहूँ,स्वामीजी ने बहुत बार कहा, अंत में वह बोला मै ‘राधा’ क्यों कहूँ ! स्वामी जी ने कहा - जब तुम मर जाओ तो मरने पर यमराज से पूँछना कि एक बार राधा नाम लेने की क्या महिमा है, इतना कहकर वे चले गए ! एक दिन वह मर गया : यमराज के पास पहुँच गया, तब उसने पूँछा - आप मुझे बताये कि एक बार राधा नाम लेने की क्या महिमा है?

यमराज ने कहा - मुझे नहीं पता कि क्या महिमा है, शायद इन्द्र को पता होगा, चलो उससे पूछते है ! जब उसने देखा की यमराज तो कुछ ढीले पड़ रहे है, तो बोला- मै ऐसे नहीं जाऊँगा, पालकी मँगाओ, तुरंत पालकी आ गयी, उसने कहार से बोला - आप हटो, यमराज जी आप इसकी जगह लग जाओ ! यमराज लग गए, इंद्र के पास गए !
इंद्र ने पूछा – ये कोई खास है क्या? यमराज जी ने कहा-ये पृथ्वी से आया है और एक बार राधा नाम लेने की क्या महिमा है - पूँछ रहा है ! आप बताइये,
इंद्र ने कहा - महिमा तो बहुत है, पर क्या है - ये नहीं पता, ये तो ब्रह्मा जी ही बता सकते है !
व्यक्ति बोला - तुमभी पालकी में लग जाओ, अब उसकी पालकी में एक ओर यमराज दूसरी ओर इंद्र लग गए और ब्रह्मा जी के पास पहुँचे !

ब्रह्मा जी ने कहा- ये कोई महान व्यक्ति लगता है, जिसे ये पालकी में लेकर आ रहे है ! ब्रह्मा जी ने पूँछा : ये कौन है? तो यमराज जी ने कहा - ये पृथ्वी से आया है और एक बार 'राधा' नाम लेने की क्या महिमा है - पूँछ रहा है ! आप को तो पता ही होगा !

ब्रह्मा जी ने कहा –महिमा तो अनंत है, पर ठीक- ठीक तो मुझे भी नहीं पता, शंकरजी ही बता सकते है ! व्यक्ति ने कहा - तीसरी जगह पालकी में आप लग जाइये, ब्रह्मा जी भी लग गए ! पालकी लेकर शंकरजी के पास गए ! शंकरजी ने कहा ये कोई खास लगता है, जिसकी पालकी को यमराज, इंद्र, ब्रह्मा जी, लेकर आ रहे है, पूँछा तो ब्रह्मा जी ने कहा: ये पृथ्वी से आया है और एक बार राधा-नाम लेने की महिमा पूँछ रहा है ! हमें तो पता नहीं, आप को तो जरुर पता होगा, आप तो समाधी में सदा उनका ही ध्यान करते है

शंकर जी ने कहा - हाँ, पर ठीक प्रकार से तो मुझे भी नहीं पता, विष्णु जी ही बता सकते है ! व्यक्ति ने कहा – आप भी चौथी जगह लग जाइये, अब शंकर जी भी पालकी में लग गए !

अब चारो विष्णुजी के पास गए
और
पूँछा कि एक बार 'राधा-नाम' लेने की क्या महिमा है -
भगवान ने कहा : राधा नाम की यही महिमा है कि इसकी पालकी, आप जैसे देव उठा रहे है, ये अब मेरी गोद में बैठने का अधिकारी हो गए है !
“जय जय श्री राधे”

परम प्रिय श्री राधा-नाम की महिमा का स्वयं श्री कृष्ण ने इस प्रकार गान किया है -

"जिस समय मैं किसी के मुख से ’रा’अक्षर सुन लेता हूँ,उसी समय उसे अपना उत्तम भक्ति-प्रेम प्रदानकर देता हूँ और ’धा’ शब्द का उच्चारण करने पर तो मैं प्रियतमा श्री राधा का नाम सुनने के लोभ से उसके पीछे-पीछे चल देता हूँ !""

ब्रज के रसिक संतश्री किशोरी अली जीने इस भाव को प्रकट किया है :-
"आधौ नाम तारि है राधा
'र' के कहत रोग सब मिटि हैं,
'ध ' के कहत मिटै सब बाधा
राधा राधा नाम की महिमा,
गावत वेद पुराण अगाधा
अलि किशोरी रटौ निरंतर,
वेगहि लग जाय भाव समाधा"🙏🙏🙏💐💐💐🙏🙏🙏