सोमवार, 17 अप्रैल 2017

तलाक स्पेशल हिन्दु धर्म में तलाक जैसा कुछ नहीं है

*तलाक स्पेशल : जरूर पढे़*

*कृपया एक बार जरूर पढें*

रविवार को फुरसत से.....
तब मैं जनसत्ता में नौकरी करता था। एक दिन खबर आई कि एक आदमी ने झगड़ा के बाद अपनी पत्नी की हत्या कर दी। मैंने खब़र में हेडिंग लगाई कि पति ने अपनी बीवी को मार डाला। खबर छप गई। किसी को आपत्ति नहीं थी। पर शाम को दफ्तर से घर के लिए निकलते हुए प्रधान संपादक प्रभाष जोशी जी सीढ़ी के पास मिल गए। मैंने उन्हें नमस्कार किया तो कहने लगे कि संजय जी, पति की बीवी नहीं होती।

“पति की बीवी नहीं होती?” मैं चौंका था।

“बीवी तो शौहर की होती है, मियाँ की होती है। पति की तो पत्नी होती है।”

भाषा के मामले में प्रभाष जी के सामने मेरा टिकना मुमकिन नहीं था। हालांकि मैं कहना चाह रहा था कि भाव तो साफ है न? बीवी कहें या पत्नी या फिर वाइफ, सब एक ही तो हैं। लेकिन मेरे कहने से पहले ही उन्होंने मुझसे कहा कि भाव अपनी जगह है, शब्द अपनी जगह। कुछ शब्द कुछ जगहों के लिए बने ही नहीं होते, ऐसे में शब्दों का घालमेल गड़बड़ी पैदा करता है।

प्रभाष जी आमतौर पर उपसंपादकों से लंबी बातें नहीं किया करते थे। लेकिन उस दिन उन्होंने मुझे टोका था और तब से मेरे मन में ये बात बैठ गई थी कि शब्द बहुत सोच-समझ कर गढ़े गए होते हैं।

खैर, आज मैं भाषा की कक्षा लगाने नहीं आया। आज मैं रिश्तों के एक अलग अध्याय को जीने के लिए आपके पास आया हूँ। लेकिन इसके लिए आपको मेरे साथ निधि के पास चलना होगा।

निधि मेरी दोस्त है। कल उसने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया था। फोन पर उसकी आवाज़ से मेरे मन में खटका हो चुका था कि कुछ न कुछ गड़बड़ है। मैं शाम को उसके घर पहुँचा। उसने चाय बनाई और मुझसे बात करने लगी। पहले तो इधर-उधर की बातें हुईं, फिर उसने कहना शुरू कर दिया कि नितिन से उसकी नहीं बन रही और उसने उसे तलाक देने का फैसला कर लिया है।

मैंने पूछा कि नितिन कहाँ है, तो उसने कहा कि अभी कहीं गए हैं, बता कर नहीं गए। उसने कहा कि बात-बात पर झगड़ा होता है और अब ये झगड़ा बहुत बढ़ गया है। ऐसे में अब एक ही रास्ता बचा है कि अलग हो जाएँ, तलाक ले लें।

मैं चुपचाप बैठा रहा।

निधि जब काफी देर बोल चुकी, तो मैंने उससे कहा कि तुम नितिन को फोन करो और घर बुलाओ, कहो कि संजय सिन्हा आए हैं।

निधि ने कहा कि उनकी तो बातचीत नहीं होती, फिर वो फोन कैसे करे?

अज़ीब संकट था। निधि को मैं बहुत पहले से जानता हूँ। मैं जानता हूँ कि नितिन से शादी करने के लिए उसने घर में कितना संघर्ष किया था। बहुत मुश्किल से दोनों के घर वाले राज़ी हुए थे, फिर धूमधाम से शादी हुई थी। ढेर सारी रस्म पूरी की गईं थीं। ऐसा लगता था कि ये जोड़ी ऊपर से बन कर आई है। पर शादी के कुछ ही साल बाद दोनों के बीच झगड़े होने लगे। दोनों एक-दूसरे को खरी-खोटी सुनाने लगे। और आज उसी का नतीज़ा था कि संजय सिन्हा निधि के सामने बैठे थे, उनके बीच के टूटते रिश्तों को बचाने के लिए।

खैर, निधि ने फोन नहीं किया। मैंने ही फोन किया और पूछा कि तुम कहां हो ? मैं तुम्हारे घर पर हूँ, आ जाओ। नितिन पहले तो आनाकानी करता रहा, पर वो जल्दी ही मान गया और घर चला आया।

अब दोनों के चेहरों पर तनातनी साफ नज़र आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि कभी दो जिस्म-एक जान कहे जाने वाले ये पति-पत्नी आँखों ही आँखों में एक-दूसरे की जान ले लेंगे। दोनों के बीच कई दिनों से बातचीत नहीं हुई थी।
नितिन मेरे सामने बैठा था। मैंने उससे कहा कि सुना है कि तुम निधि से तलाक लेना चाहते हो?
उसने कहा, “हाँ, बिल्कुल सही सुना है। अब हम साथ नहीं रह सकते।”

मैंने कहा कि तुम चाहो तो अलग रह सकते हो। पर तलाक नहीं ले सकते।

“क्यों?”

“क्योंकि तुमने निकाह तो किया ही नहीं है।”

“अरे यार, हमने शादी तो की है।”

“हाँ, शादी की है। शादी में पति-पत्नी के बीच इस तरह अलग होने का कोई प्रावधान नहीं है। अगर तुमने मैरिज़ की होती तो तुम डाइवोर्स ले सकते थे। अगर तुमने निकाह किया होता तो तुम तलाक ले सकते थे। लेकिन क्योंकि तुमने शादी की है, इसका मतलब ये हुआ कि हिंदू धर्म और हिंदी में कहीं भी पति-पत्नी के एक हो जाने के बाद अलग होने का कोई प्रावधान है ही नहीं।”

मैंने इतनी-सी बात पूरी गंभीरता से कही थी, पर दोनों हँस पड़े थे। दोनों को साथ-साथ हँसते देख कर मुझे बहुत खुशी हुई थी। मैंने समझ लिया था कि रिश्तों पर पड़ी बर्फ अब पिघलने लगी है। वो हँसे, लेकिन मैं गंभीर बना रहा।

मैंने फिर निधि से पूछा कि ये तुम्हारे कौन हैं?

निधि ने नज़रे झुका कर कहा कि पति हैं। मैंने यही सवाल नितिन से किया कि ये तुम्हारी कौन हैं? उसने भी नज़रें इधर-उधर घुमाते हुए कहा कि बीवी हैं।

मैंने तुरंत टोका। ये तुम्हारी बीवी नहीं हैं। ये तुम्हारी बीवी इसलिए नहीं हैं क्योंकि तुम इनके शौहर नहीं। तुम इनके शौहर नहीं, क्योंकि तुमने इनके साथ निकाह नहीं किया। तुमने शादी की है। शादी के बाद ये तुम्हारी पत्नी हुईं। हमारे यहाँ जोड़ी ऊपर से बन कर आती है। तुम भले सोचो कि शादी तुमने की है, पर ये सत्य नहीं है। तुम शादी का एलबम निकाल कर लाओ, मैं सबकुछ अभी इसी वक्त साबित कर दूँगा।

बात अलग दिशा में चल पड़ी थी। मेरे एक-दो बार कहने के बाद निधि शादी का एलबम निकाल लाई। अब तक माहौल थोड़ा ठंडा हो चुका था, एलबम लाते हुए उसने कहा कि कॉफी बना कर लाती हूं।

मैंने कहा कि अभी बैठो, इन तस्वीरों को देखो। कई तस्वीरों को देखते हुए मेरी निगाह एक तस्वीर पर गई जहां निधि और नितिन शादी के जोड़े में बैठे थे और पाँव-पूजन की रस्म चल रही थी। मैंने वो तस्वीर एलबम से निकाली और उनसे कहा कि इस तस्वीर को गौर से देखो।

उन्होंने तस्वीर देखी और साथ-साथ पूछ बैठे कि इसमें खास क्या है?

मैंने कहा कि ये पैर-पूजन की रस्म है। तुम दोनों इन सभी लोगों से छोटे हो, जो तुम्हारे पाँव छू रहे हैं।

“हाँ तो?”

“ये एक रस्म है। ऐसी रस्म संसार के किसी धर्म में नहीं होती, जहाँ छोटों के पाँव बड़े छूते हों। लेकिन हमारे यहाँ शादी को ईश्वरीय विधान माना गया है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि शादी के दिन पति-पत्नी दोनों विष्णु और लक्ष्मी के रूप हो जाते हैं। दोनों के भीतर ईश्वर का निवास हो जाता है। अब तुम दोनों खुद सोचो कि क्या हज़ारों-लाखों साल से विष्णु और लक्ष्मी कभी अलग हुए हैं? दोनों के बीच कभी झिकझिक हुई भी हो तो क्या कभी तुम सोच सकते हो कि दोनों अलग हो जाएँगे? नहीं होंगे। हमारे यहाँ इस रिश्ते में ये प्रावधान है ही नहीं। तलाक शब्द हमारा नहीं है। डाइवोर्स शब्द भी हमारा नहीं है।"

यहीं दोनों से मैंने ये भी पूछा कि बताओ कि हिंदी में तलाक को क्या कहते हैं?

दोनों मेरी ओर देखने लगे। उनके पास कोई जवाब था ही नहीं। फिर मैंने ही कहा कि दरअसल हिंदी में तलाक का कोई विकल्प नहीं। हमारे यहाँ तो ऐसा माना जाता है कि एक बार एक हो गए तो कई जन्मों के लिए एक हो गए। तो प्लीज़ जो हो ही नहीं सकता, उसे करने की कोशिश भी मत करो। या फिर पहले एक दूसरे से निकाह कर लो, फिर तलाक ले लेना।

अब तक रिश्तों पर जमी बर्फ काफी पिघल चुकी थी।
निधि चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी। फिर उसने कहा कि

भैया, मैं कॉफी लेकर आती हूँ।

वो कॉफी लाने गई, मैंने नितिन से बातें शुरू कर दीं। बहुत जल्दी पता चल गया कि बहुत ही छोटी-छोटी बातें हैं, बहुत ही छोटी-छोटी इच्छाएँ हैं, जिनकी वज़ह से झगड़े हो रहे हैं।

खैर, कॉफी आई। मैंने एक चम्मच चीनी अपने कप में डाली। नितिन के कप में चीनी डाल ही रहा था कि निधि ने रोक लिया, “भैया इन्हें शुगर है। चीनी नहीं लेंगे।”

लो जी, घंटा भर पहले ये इनसे अलग होने की सोच रही थीं और अब इनके स्वास्थ्य की सोच रही हैं।
मैं हँस पड़ा। मुझे हँसते देख निधि थोड़ा झेंपी। कॉफी पी कर मैंने कहा कि अब तुम लोग अगले हफ़्ते निकाह कर लो, फिर तलाक में मैं तुम दोनों की मदद करूँगा।
जब तक निकाह नहीं कर लेते तब तक “हम्मा-हम्मा-हम्मा, एक हो गए हम और तुम” वाला गाना गाओ, मैं चला।

मैं जानता हूँ कि अब तक दोनों एक हो गए होंगे। हिंदी एक भाषा ही नहीं संस्कृति है।
*('नूतनवाग्धारा' समूह से साभार)*

जिसने भी लिखा है उनको हम दिल से धन्यवाद देते हैं हमें गर्व है। कि हम हिन्दू है।

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

Akta me hi SAKTI hai आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है तो रुकिए और दुबारा सोचिये हम सब खतरे में हैं

एक चूहा #किसान के घर में बिल बना कर रहता था. एक दिन चूहे ने देखा कि किसान और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं. चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है.
उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक चूहेदानी थी. ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है.
कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है?
निराश चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया.
मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा... जा भाई..ये मेरी समस्या नहीं है.
हताश चूहे ने बाड़े में जा कर बकरे को ये बात बताई... और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा
.
उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई जिस में एक ज़हरीला साँप फँस गया था.
अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर किसान की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डंस लिया.
तबीयत बिगड़ने पर किसान ने वैद्य को बुलवाया. वैद्य ने उसे कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी.
*कबूतर अब पतीले में उबल रहा था*.
खबर सुनकर किसान के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन *मुर्गे को काटा गया*.
कुछ दिनों बाद किसान की पत्नी मर गयी... अंतिम संस्कार और मृत्यु भोज में बकरा परोसने के अलावा कोई चारा न था......
चूहा दूर जा चुका था...बहुत दूर ...........
अगली बार कोई आप को अपनी समस्या बातये और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है तो रुकिए और दुबारा सोचिये.... हम सब खतरे में हैं...
समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा देश खतरे में है....
जाति पाती के दायरे से बाहर निकलिये.
स्वयंम तक सीमित मत रहिये.  .
समाजिक बनिये...
और राष्ट्र  धर्म के लिए एक बनिये..

बुधवार, 5 अप्रैल 2017

Bhagvan ram aur unke banshaj

कभी सोचा है की प्रभु 🏹🏹श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..



🏹रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य🏹

1:~मानस में राम शब्द = 1443 बार आया है।
2:~मानस में सीता शब्द = 147 बार आया है।
3:~मानस में जानकी शब्द = 69 बार आया है।
4:~मानस में बैदेही शब्द = 51 बार आया है।
5:~मानस में बड़भागी शब्द = 58 बार आया है।
6:~मानस में कोटि शब्द = 125 बार आया है।
7:~मानस में एक बार शब्द = 18 बार आया है।
8:~मानस में मन्दिर शब्द = 35 बार आया है।
9:~मानस में मरम शब्द = 40 बार आया है।

10:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
11:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
12:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
13:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
14:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
15:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
16:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

17:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
18:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
19:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
20:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
21:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
22:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
23:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

24:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
25:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।

26:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
27:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
28:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।
यह जानकारी किसी भाइ ने महीनों के परिश्रम केबाद आपके सम्मुख प्रस्तुत किया है ।
आप भी share कर धर्म लाभ कमाये
जय श्री राम
🙏�  जय श्री राम   🙏

सोमवार, 3 अप्रैल 2017

Anti romio Ki pehchan ka tarika

*रोमियों को पहचानने का तरीका, पुलिस ही नहीं सभी के लिए कारगर...*

*नोट-निम्नलिखित गुणों में से चार गुण मिलने पर शोहदों को रोमियो घोषित किया जा सकता है.....*

1- हर दिन ये पेट्रोल पम्प पर बीस रुपये का पेट्रोल भराते हैं।

2- ये गाड़ी चलाते समय एक साथ पूरा एस्सेलेरेटर लेकर और आधा क्लच दबाकर गाड़ी चलाते हैं।

3- ये बालिका विद्यालय अथवा महिला महाविद्यालय अथवा किसी टेक्निकल इंस्टिट्यूट या प्राइवेट कोचिंग के आसपास दिन भर बिना किसी काम के सिगरेट के खोखे पर एक सिगरेट को तीन बार जलाकर पीते नजर आते हैं।

4- ये 60 रुपये की टी शर्ट और 120 रुपये की जीन्स जिस पर की लाल हरा नीला पीला रंग का ड्रैगन फूल पत्ते आदि बना होता है, धारण करते हैं और वह जीन्स इनके कमर पर टिकने का नाम नहीं लेती है नीचे को सरकती रहती है।

5- ये अधिकांशतः 45-50 किलोग्राम वजन के होते हैं लेकिन हाथ में दो चार पांच रुपये वाला रबर का लाल पीला फ्रेंडशिप बैंड एवं एक दो कड़े (250 ग्राम के) पहने होते हैं और दोनों हाथो को शरीर से थोड़ा दूर रखकर ऐसे चलते हैं मानो खपच्ची बंधी हो।

6- 50 रूपये वाला रेबेन का नकली चश्मा बार बार उतारकर साफ़ करके फिर पुनः लगाते नज़र आते हैं।

विशेष-
इन्हें कूटना केवल पुलिस की ही नहीं बल्कि आपकी भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है...

जनहित में जारी

Ram mandir vahi banayenge मंदिर वही बनायेंगे

⚔🚩मंदिर वही बनायेंगे🚩⚔
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योगी जैसा और ना कोई , बोल रहा हू शान से
हिंदू है  हम प्यार  है हमको , मेरे हिन्दुस्थान से

जिन्हे चाहिये राम का मंदिर वो हिंदू मतवाले है
त्याग अहिंसा भूल गय़ा हाथो मे दिखते भाले है

प्रभु राम की जय होगी मुँह अपना जब खोलेंगे
योगी जी के अनुयायी हम , योगी भाषा बोलेंगे

बाबर की औलाद वीर के संयम जब भी तौलेँगे
वीर शिवा राणा के वंशज ,मुँह तेगो का खोलेंगे

मंदिर के विरोधी हर , बस  प्राण गवाने आयेंगे
प्रभु राम का जयकारा कर ,मंदिर वही बनायेंगे

जाफ़र औ जयचंद जो दुबे ज़हर फिजा मे घोलेँगे
योगी  जी  के  अनुयायी , हम योगी भाषा बोलेंगे
हम योगी भाषा बोलेंगे


हामारे भाइ बृजेश दुबे  जी के कलम से

बृजेश दुबे ✍🏻