शुक्रवार, 20 मई 2016

Ek Hindu veer ki kahani

क्यों नहीं पढाई गईं अकबर की पराजय गाथा? क्यों नहीं जानती नई पीढी उसे हराने वाले वीर योद्धा भानजी दल जाडेजा को?
आज हम एक ऐसे वीर योद्धा भान जी दल जाडेजा के बारे में बताने जा रहे है जिसने अपने राज्य पर बुरी नजर रखनेवाले मुगलों को गाजर मूली की तरह काटा | इतना ही नहीं तो उनका नेतृत्व करने वाले अकबर को भागने पर मजबूर कर दिया ! लेकिन दुर्भाग्य देश का कि नई पीढी को इस वीर योद्धा के बारे में पढाया और सुनाया ही नही गया ! भान जी दल जाडेजा ने अकबर को बुरी तरह परास्त किया और उसे भागने पर मजबूर कर दिया और साथ ही साथ उसके 52 हाथी 3530 घोड़े पालकिया आदि अपने कब्जे में ले लिए !
विक्रम सम्वंत 1633(1576 ईस्वी) में मेवाड़,गोंड़वाना के साथ साथ गुजरात भी मुगलो से लोहा ले रहा था | गुजरात में स्वय अकबर और उसका सेनापति कमान संभाले थे ! अकबर ने जूनागढ़ रियासत पर 1576 ईस्वी में आक्रमण करना चाहा तब वहां के नवाब ने पडोसी राज्य नवानगर (जामनगर) के राजा जाम सताजी जडेजा से सहायता मांगी ! क्षत्रिय धर्म के अनुरूप महाराजा ने पडोसी राज्य जूनागढ़ की सहायता के लिए अपने 30000 योद्धाओ को भेजा जिसका नेतत्व कर रहे थे नवानगर के सेनापति वीर योद्धा भान जी दल जाडेजा!
सभी योद्धा देवी दर्शन के पश्चात् तलवार शस्त्र पूजा कर जूनागढ़ की सहायता को निकले, पर माँ भवानी को कुछ और ही मंजूर था ! उस दिन जूनागढ़ के नवाब ने अकबर की विशाल सेना के सामने लड़ने से इंकार कर दिया व आत्मसमर्पण के लिए तैयार हो गया ! नवानगर के सेनापति ने वीर भान जी दल जाडेजा को वापस अपने राज्य लौट जाने को कहा ! इस पर भान जी और उनके वीर राजपूत योद्धा अत्यंत क्रोधित हुए ! भानजी जडेजा ने सीधे सीधे जूनागढ़ नवाब को राजपूती तेवर में कहा “क्षत्रिय युद्ध के लिए निकला है तो या तो जीतकर लौटेगा या फिर रण भूमि में वीर गति को प्राप्त करेगा” !
वहां सभी वीर जानते थे की जूनागढ़ के बाद नवानगर पर आक्रमण होगा ही, इसलिए सभी वीरो ने फैसला किया कि वे बिना युद्ध किये नही लौटेंगे ! अकबर की सेना लाखो में थी ! उन्होंने मजेवाड़ी गाँव के मैदान में अपना डेरा जमा रखा था ! भान जी जडेजा ने मुगलो के तरीके से ही कुटनीति का उपयोग करते हुए आधी रात को युद्ध लड़ने का फैसला किया !
सभी योद्धा आपस में गले मिले फिर अपने इष्ट देव का स्मरण कर युद्ध स्थल की ओर निकल पड़े ! आधी रात हुई और युद्ध आरम्भ हुआ ! रात के अँधेरे में हजारो मुगलो को काटा गया ! सुबह तक युद्ध चला, मुगलो का नेतृत्व कर रहा मिर्ज़ा खान और मुग़ल सेना अपना सामान छोड़ भाग खड़ी हुयी !
हालांकि अकबर इस युद्धस्थल से कुछ ही दूर था, किन्तु उसने भी स्थिति की गंभीरता को भांपकर पैर पीछे खींचने में ही भलाई समझी | वह भी सुबह होते ही अपने विश्वसनीय लोगो के साथ काठियावाड़ छोड़कर भाग खड़ा हुआ !
नवानगर की सेना ने मुगलो का 20 कोस तक पीछा किया ! जो हाथ आये वो मारे गए ! अंत में भान जी दल जाडेजा ने मजेवाड़ी में अकबर के शिविर से 52 हाथी 3530 घोड़े और पालकियों को अपने कब्जे में ले लिया ! उस के बाद यह काठियावाड़ी फ़ौज नवाब को उसकी कायरता की सजा देने के लिए सीधी जूनागढ़ गयी ! जूनागढ़ किले के दरवाजे उखाड दिए गए ! ये दरवाजे आज जामनगर में खम्बालिया दरवाजे के नाम से जाने जाते है और आज भी वहां लगे हुए है !
बाद में जूनागढ़ के नवाब को शर्मिन्दिगी और पछतावा हुआ उसने नवानगर महाराजा साताजी से क्षमा मांगी और दंड स्वरूप् जूनागढ़ रियासत के चुरू ,भार सहित 24 गांव और जोधपुर परगना (काठियावाड़ वाला) नवानगर रियासत को दिए ! कुछ समय बाद बदला लेने की मंशा से अकबर फिर 1639 में आया किन्तु इस बार भी उसे "तामाचान की लड़ाई" में फिर हार का मुँह देखना पड़ा !

गुरुवार, 5 मई 2016

एक बार पहले भी आ चुकी है धरती पर प्रलय खतम हो गया था सब कुछ जाने कब

 राजा मनु  इस पृथ्वी के पहले मनुष्य माने जाते हैं। वह इसलिए कि जब धरती पर प्रलय आया तो भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया।
जब-जब पृथ्वी पर प्रलय आता है भगवान विष्णु अवतरित होते हैं पहली बार जब प्रलय आया तो प्रभु मत्स्य अवतार में अवतरित हुए और कलयुग के अंत में जब महाप्रलय होगा तब कल्कि अवतार में अवतरित होंगे।


पौराणिक ग्रंथों में मनाली को मनु का घर कहा गया है। मनाली हिमाचल प्रदेश में है। कहा जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तो एकमात्र मनु ही जीवित बचे थे। मनाली में आकर ही उन्होनें मनुष्य की पुनर्रचना की। इसलिए मनाली को हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है।
राजा मनु का मंदिर
यहां पृथ्वी के पहले मानव राजा मनु का मंदिर है। यह मंदिर महर्षि मनु के नाम से पहचाना जाता है। यहां आकर उन्होंने ध्यान लगाया था। मंदिर तक पहुंचने का मार्ग फिसलन भरा है। वैसे पुरानी मनाली मनाली से 3 किमी उत्तर पश्चिम में है जो बगीचों और प्राचीन अतिथिग्रहों के लिए काफी प्रसिद्ध है।
जब वेदों को ले गया दैत्य
प्रलय के ठीक पहले जब ब्रह्माजी के मुंह से वेदों का ज्ञान निकल गया, ऐसे में असुर हयग्रीव ने उस ज्ञान को चुरा लिया। तब भगवान विष्णु अपने प्रथम अवतार मत्स्य के रूप में अवतरित हुए और स्वयं को राजा सत्यव्रत मनु के सामने एक छोटी, लाचार मछली बनकर आए।


सुबह जब राजा मनु सूर्यदेव को अर्घ्य दे रहे थे तभी एक मछली ने उनसे कहा कि आप मुझे अपने कमंडल में शरण दीजिए। राजा ने मछली को अपने कमंडल में रख लिया और घर की ओर चल दिए, घर पहुंचते तक वह मछली उस कमंडल के आकार की हो गई, राजा ने इसे एक अन्य पात्र पर रखा परंतु कुछ समय बाद वह मछली उस पात्र के आकार की हो गई। उस मछली को तालाब में भिजवाया गया तो वह तालाब के आकार की हो गई।
अंत में राजा ने उसे समुद्र में डाला तो उसने पूरे समुद्र को ढंक लिया। उस सुनहरी-रंग मछली ने अपने दिव्य पहचान उजागर की और अपने भक्त राजा मनु को बताया कि ठीक सातवें दिन प्रलय आएगा। इस दौरान विश्व का नया सृजन होगा।
सातवें दिन प्रलय आया। प्रलय के समय राजा मनु अपने साथ एक संदूक में वनस्पति, पौधों के बीज, जीव-जंतु, सप्त ऋर्षि आदि को ले उस भयावह बाढ़ रूपी प्रलय से ले गए।
फिर यह अति-विशाल मछली यानी मत्स्य अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने दैत्य हयग्रीव को मारकर वेदो को गुमनाम होने से बचाया और उसे ब्रह्माजी को दे दिया। जब ब्रह्माजी अपनी नींद से जागे तब प्रलय का अंत हो चुका था।


इसे ब्रम्ह की रात पुकारा जाता है, जो गणना के आधार पर 4, 320, 000, 000 सालों तक एक दिन चलता है। जब संसार में प्रलय आया तो पृथ्वी को नष्ट करने लगा। तब एक विशाल नाव आई, जिस पर राजा मनु के साथ उनके साथ सभी चढ़े। मत्स्य भगवान ने उसे सर्पराज वासुकि को डोर बनाकर बांध से लिया और सुमेरु पर्वत की ओर प्रस्थान किया।
रास्ते में भगवान मत्स्य नारायण ने मनु (सत्यव्रत) को मत्स्य पुराण सुनाया और इस तरह प्रभु ने सबकी प्रलय से रक्षा की, तथा पौधों तथा जीवों की नस्लों को बचाया और मत्स्य पुराण की विद्या को नए युग में प्रसारित किया।

Kalyug ka ant kab hoga kab hoga kalki avtar Jane 10 भविष्यवाणी

1-  ब्रह्मपुराण में उल्लेखित है कि कलियुग की अवधि, 10 हजार साल है। इस दौरान, मानव जाति का पतन होगा, लोगों में द्धेष और दुर्भावना बढ़ेगी। इसका अंत करने के लिए भगवान विष्णु कल्कि का रूप धारण करेंगे।


2- कलियुग के पांच हजार साल बाद गंगा नदी सूख जाएगी और पुन: वैकुण्ठ धाम लौट जाएगीं। जब कलियुग के दस हजार वर्ष हो जाएंगे तब सभी देवी-देवता पृथ्वी छोड़कर अपने धाम लौट जाएंगे। मनुष्य पूजन-कर्मकांड, व्रत-उपवास और सभी धार्मिक काम करना बंद कर देंगे

3 - कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा। जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता नष्ट हो जाएगी। रिश्ते खत्म हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा।

Click here जला डालो ऐसी किताबो को जहा ये लिखा है की अकबर महान था, फाड़ दो उन पृष्ठों को जो कहते है की बाबर बहुत शक्तिशाली था,

4- कलियुग में ऐसा समय आएगा जब स्त्री और पुरुष, दोनों ही अधर्मी हो जाएंगी। स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देगी और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे।

5- अन्याय से धन हासिल करने वाले लोगों में बढ़ोत्तरी होगी। लोग धन के लोभ में किसी की हत्या करने में भी संकोच नहीं करेंगे।

6- कलियुग के अंत में मनुष्य की आयु महज 12 वर्ष और शरीर मात्र 4 इंच का रह जाएगा।

7- एक समय ऐसा आएगा, जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा। पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे। धीरे-धीरे ये सारी चीजें विलुप्त हो जाएंगी। गाय दूध देना बंद कर देगी।

8- कलियुग में नदियां सूख जाएंगी। पत्नियों को अपने पतियों से अनुराग कम हो जाएगा।

9 - जब आतंक अपनी चरम सीमा में होगा तो भगवान विष्णु का कल्कि अवतार लेंगे। यह अवतार विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेगा। भगवान कल्कि बहुत ऊंचे घोड़े पर चढ़कर अपनी विशाल तलवार से सभी अधर्मियों का नाश करेंगे।

10- भगवान कल्कि केवल तीन दिनों में पृथ्वी से समस्त अधर्मियों का नाश कर देंगे। और फिर अंत में कलियुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी, जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा। इसके बाद एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी।